जसपुर। आम आदमी पार्टी से डा. यूनुस चौधरी को प्रत्याशी घोषित किये जाने से जसपुर विधानसभा क्षेत्र के पार्टी कार्यकर्ताओं ने बखेड़ा खड़ा कर दिया है। पार्टी की नीतियों से असंतुष्ट क्षेत्र के दो बड़े नेताओं ने निर्दलीय रूप से चुनाव लड़ने के संकेत दिये हैं। यदि ऐसा हुआ तो जसपुर में राजनीतिक समीकरण इस बार पूरी तरह बदल सकते हैं। बताते चलें कि जसपुर की जनता पर अपनी मजबूत पकड़ रखने वाले समाजसेवी अजय अग्रवाल ने क्षेत्र में आम आदमी पार्टी को मजबूत करने के लिए भरपूर मेहनत की। समाजसेवा को ही अपना प्रमुख उद्देश्य मानने वाले अजय अग्रवाल ने जनता के अनुरोध पर चुनाव लड़ने का मन बनाया। उम्मीद थी कि पार्टी उन्हें टिकट देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वहीं सिख समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले सरदार सूबा सिंह की पार्टी के प्रति निष्ठा और मेहनत को भी कोई तबज्जो पार्टी आलाकमान ने नहीं दी और कुछ समय पहले उपेक्षा के चलते कांग्रेस छोड़कर पार्टी में शामिल हुए डा. यूनुस चौधरी को प्रत्याशी घोषित कर दिया। इससे अजय अग्रवाल और सूबा सिंह के समर्थकों में रोष व्याप्त हो गया। समर्थकों की रायशुमारी के बाद अजय अग्रवाल ने मीडिया के समक्ष निर्दलीय रूप से चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान करते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी उत्तराखंड की जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रही है। वह अपने नेताओं व कार्यकर्ताओं को झूठ बोलने पर विवश करती है, ताकि चुनाव में वोट बटोर सके, लेकिन वे ऐसा कभी नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि पिछले बीस वर्षों में लगातार बढ़ती आ रही जसपुर क्षेत्र की समस्याओं के निस्तारण एवं चहुंमुखी विकास का संकल्प लेकर जनता के आशीर्वाद से वह निर्दलीय रूप से चुनाव मैदान में उतरने जा रहे हैं। उधर, सरदार सूबा सिह ने बताया कि जिन नीतियों को लेकर आम आदमी पार्टी उत्तराखंड में चुनाव लड़ने उतरी थी उससे भटक चुकी है और भाजपा व कांग्रेस की नीतियों पर ही चल रही है। उन्होंने कहा कि जसपुर विधानसभा से सिख़ समाज से पहली बार कोई व्यक्ति चुनाव लड़ने को आगे आया था लेकिन आम आदमी पार्टी ने तरजीह नहीं दी। इतिहास गवाह है कि आज तक किसी भी राजनीतिक पार्टी ने जसपुर में सिख समाज को आगे नहीं आने दिया जिसके कारण सिख़ समाज व उनके समर्थको में भारी रोष है। सूबा सिंह ने बताया कि उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। उन्होंने बताया कि कुछ राजनीतिक पार्टियां लगातार उनसे संपर्क कर रही हैं, जल्द ही कोई अच्छा निर्णय लेंगे। बहरहाल, पार्टी में टूट से डा. यूनुस चौधरी की चुनावी राह में पहले ही कदम पर काँटे ही काँटे नजर आ रहे हैं। चंद लोगों के करीब रहने वाले डा. यूनुस को समझना होगा कि चुनाव किसी को नाराज करके नहीं बल्कि सभी को साथ लेकर जीता जाता है। बेहतर होगा कि वे चंद लोगों के चंगुल से बाहर निकलें।