



पुलिस महानिरीक्षक कुमाऊं परिक्षेत्र, मती रिद्धिम अग्रवाल के निर्देशन तथा एसएसपी उधम सिंह नगर मणिकांत मिश्रा की अध्यक्षता में उधम सिंह नगर पुलिस ने की फॉरेंसिक प्रशिक्षण की अनूठी पहल – तकनीकी बिन्दुओं पर जांच कर कसा जायेगा अपराधियों पर शिकंजा ।
अपराध जांच क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, पुलिस महानिरीक्षक कुमाऊं परिक्षेत्र, श्मती रिद्धिम अग्रवाल के प्रयासों और दिशा-निर्देशों तथा एसएसपी उधम सिंह नगर श्री मणिकांत मिश्रा की अध्यक्षता में, आज पुलिस लाइन रुद्रपुर में एक प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न किया गया। इस पहल में फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) का भी सहयोग रहा, जिसका उद्देश्य पुलिस कर्मियों को आधुनिक अपराधों की पहचान और सुलझाने के लिए आवश्यक उन्नत फॉरेंसिक ज्ञान और व्यावहारिक कौशल से लैस करना है।
वैज्ञानिक पुलिसिंग को मिलेगा बढ़ावा
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम उधम सिंह नगर पुलिस की अपनी जांच प्रक्रियाओं में वैज्ञानिक तरीकों को अपनाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में नैनीताल के पुलिस कर्मी भी सम्मिलित हुए , जो अंतर-जिला सहयोग को बढ़ावा देगा और वैज्ञानिक पुलिसिंग के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण सुनिश्चित करेगा।
फ़
प्रशिक्षण के प्रमुख बिंदु
फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी के विशेषज्ञ इस प्रशिक्षण में विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल कर रहे हैं। इनमें मुख्य रूप से शामिल हैं:
अपराध स्थल प्रबंधन साक्ष्य को दूषित होने से बचाने और सही ढंग से एकत्र करने के तरीके।
उन्नत फिंगरप्रिंट विश्लेषण फिंगरप्रिंट्स की पहचान और विश्लेषण के नवीनतम तरीके।
ट्रेस साक्ष्य का संग्रह बाल, फाइबर, मिट्टी जैसे सूक्ष्म साक्ष्यों को एकत्र करने की तकनीकें।
फोरेंसिक फोटोग्राफी अपराध स्थल और साक्ष्यों की सटीक फोटोग्राफी।
डीएनए साक्ष्य संग्रह प्रोटोकॉल डीएनए साक्ष्य के उचित संग्रह और संरक्षण के मानक तरीके।
बैलिस्टिक्स और दस्तावेज़ जांच की बुनियादी समझ गोलीबारी से संबंधित साक्ष्य और दस्तावेज़ों की प्रामाणिकता की जांच की प्रारंभिक जानकारी।
विशेषज्ञों की उपस्थिति और सहयोग का महत्व
इस महत्वपूर्ण प्रशिक्षण कार्यक्रम में क्षेत्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला, रुद्रपुर के वैज्ञानिक अधिकारी, हेमंत होलकर, कुमारी सोनी (क्षेत्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला, रुद्रपुर) और इंस्पेक्टर पुनीता बलोदी की महत्वपूर्ण उपस्थिति रही। उन्होंने इस पहल को जांच शक्ति को मजबूत करने वाली एक आवश्यक कड़ी बताया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह साझा विशेषज्ञता अधिकारियों की अकाट्य साक्ष्य एकत्र करने की क्षमता को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाएगी, जिससे उच्च दोषसिद्धि दर और अधिक प्रभावी न्याय वितरण प्रणाली का मार्ग प्रशस्त होगा। विशेषज्ञों ने यह भी सुनिश्चित किया कि कार्यक्रम में व्यावहारिक सत्रों को शामिल किया जाए ताकि प्रतिभागियों को वास्तविक दुनिया का अनुभव मिल सके, जिससे उनके कौशल और मजबूत होंगे।
यह प्रशिक्षण अपराधियों पर शिकंजा कसने और सभी के लिए एक सुरक्षित समुदाय सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। यह पहल फॉरेंसिक जांच में सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने के लिए पुलिस के समर्पण का प्रमाण है।