







इंदौर की तर्ज पर रुद्रपुर को चमकाने के होंगे प्रयासः विकास शर्मा
हरित वातावरण और जनभागीदारी से बदलेगा शहर का स्वरूप
पांच दिवसीय भोपाल और इंदौर दौरे में महापौर ने किया शहरी विकास की योजनाओं का अध्ययन
रुद्रपुर। इंदौर की तरह रुद्रपुर भी चमक सकता है, बशर्ते हम सब मिलकर इसके लिए प्रयास करें। यह कहना है नगर निगम रुद्रपुर के महापौर विकास शर्मा का। महापौर विकास शर्मा पांच दिवसीय भोपाल और इंदौर एक्सपोजर विज़िट से लौटे हैं। महापौर ने इस दौरे को रुद्रपुर के भविष्य की दिशा तय करने वाला ’मील का पत्थर’ बताया है।
महापौर ने नगर निगम में आयोजित पत्रकार वार्ता में बताया कि इंदौर में कचरा निस्तारण का जो हाईटेक और व्यवस्थित मॉडल अपनाया गया है, उसने पूरे देश को आकर्षित किया है। वहाँ कचरा निगम पर बोझ नहीं है, बल्कि आय का साधन बन गया है। रुद्रपुर में भी जल्द ऐसा ही होगा। उन्होंने विस्तार से बताया कि इंदौर में ’ट्रिपल आर (रिड्यूस, रीयूज और रीसाइकिल)’ तकनीक से हर प्रकार का कचरा अलग किया जाता है-गीला, सूखा, प्लास्टिक, लोहा, कपड़ा, नारियल, ई-वेस्ट और सीएनडी वेस्ट। सबकी अलग-अलग श्रेणियाँ बनाई जाती हैं और फिर उन्हें रीसाइकिलिंग के लिए भेजा जाता है। कपड़ों तक को रिसाइकिल कर रूई, खिलौने, बैग और अन्य उत्पाद तैयार करने के काम में लिया जाता है। जब हम कचरे को संसाधन के रूप में देखेंगे, तभी रुद्रपुर भी साफ और आत्मनिर्भर बनेगा।
महापौर ने इंदौर मॉडल का एक और महत्वपूर्ण पहलू साझा किया। वहाँ महिलाओं को घर में ही जैविक कचरे से खाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। बड़ी बाल्टियों में रखा गया कचरा 45 दिन में खाद में बदल जाता है और इसे घर के पौधों में इस्तेमाल किया जाता है। खाद बनाने वाली महिलाओं को नगर निगम यूज़र चार्ज में छूट भी देता है। हम रुद्रपुर में भी यह योजना लागू करेंगे। इससे न केवल घर-घर में कचरा कम होगा बल्कि महिलाएँ आत्मनिर्भर भी बनेंगी।
इंदौर में थर्माकोल को अलग करके मेल्ट किया जाता है और उसे पुनः उपयोग में लाया जाता है। इसके अलावा पुराना कागज़ घरों से इकट्ठा कर ’पेपर श्रेडर मशीन’ के जरिए रिसाइकिल किया जाता है और बदले में घरों को नया पेपर दिया जाता है। महापौर का कहना है कि यह व्यवस्था रुद्रपुर में लागू की जाएगी, जिससे न केवल पर्यावरण को लाभ होगा बल्कि शहर का कचरा बोझ भी कम होगा।
महापौर ने बताया कि जल्द ही शहर में ’‘अमृत मित्र बनाए जाएंगे जो घर-घर जाकर पीने के पानी की टेस्टिंग करेंगे। इसके अलावा सभी मकानों की ’ऑनलाइन जियो-टैगिंग’ की जाएगी। शहर की जनसांख्यिकी जानकारी रखने के लिए एक ’डेमोग्राफी सेल’ भी गठित होगा, जिसमें वरिष्ठ नागरिकों को शामिल किया जाएगा। वरिष्ठ नागरिक हमारे अनुभव का खजाना हैं। उन्हें शहरी विकास की योजनाओं में जोड़ना बहुत ज़रूरी है।
महापौर ने बताया कि भोपाल की तर्ज पर रुद्रपुर में भी पर्यावरण संरक्षण पर ज़ोर दिया जाएगा। भोपाल शहर के चारों दिशाओं में तालाब बनाकर आवोहवा को शुद्ध रखा गया है। इसी तर्ज पर रुद्रपुर और उसके आसपास की नदियों और तालाबों को पुनर्जीवित करने के प्रयास होंगे। इसके अलावा ग्रीन स्पेस विकसित किए जाएंगे और सड़कों पर लगे पौधों को सुरक्षित रखने के लिए डिवाइडरों को ऊँचा किया जाएगा।
महापौर ने कहा कि शहर को प्लास्टिक कचरे से मुक्त करना हमारी प्राथमिकता है। इसके लिए नगर निगम न केवल कपड़े के बैग बांटेगा बल्कि नियम भी सख्ती से लागू करेगा। आवश्यक हुआ तो कठोर निर्णय लिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मार्गदर्शन और जनता के सहयोग से रुद्रपुर को उत्तराखंड का ’मॉडल शहर’ बनाया जाएगा।
महापौर ने बताया कि पांच दिवसीय इस विज़िट में पहले दो दिन भोपाल में विशेषज्ञों ने ’स्वच्छ भारत मिशन, अमृत योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, एसटीपी’ जैसी योजनाओं पर विस्तृत जानकारी दी। ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण कर शहरी सौंदर्यीकरण को भी समझाया गया। तीसरे दिन इंदौर में कचरा प्रबंधन और अन्य योजनाओं का प्रत्यक्ष अध्ययन हुआ। अंतिम दिन प्रमाण पत्र वितरण के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। महापौर ने कहा कि इंदौर और भोपाल आज पूरे देश में मॉडल हैं और रुद्रपुर भी वही मुकाम हासिल करेगा।
महापौर ने कहा कि शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए अधिक से अधिक जनभागीदारी भी सुनिश्चित की जायेगी। जिन योजनाओं का अध्ययन किया गया है उन्होंने धरातल पर लाना जनसहभागिता के बिना असंभव है। उनहोंने कहा कि इंदौर और भोपाल आज पूरे देश में मॉडल बने हुए हैं तो यह सब जनभागीदारी से ही संभव हुआ है। महापौर ने कहा कि यह भ्रमण रुद्रपुर को स्मार्ट सिटी बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।