



बाजपुर। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ऊधम सिंह नगर के तत्वाधान में श्रमिकों को जागरूक करने के लिए जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया ।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उधम सिंह नगर सचिव योगेंद्र कुमार सागर के निर्देश पर नालसा (असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए कानूनी सेवाएँ), योजना, 2015 असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को उनके कानूनी अधिकारों, सरकारी योजनाओं के तहत लाभों और कानूनी प्रतिनिधित्व तक पहुँचने में मदद करने के लिए निःशुल्क कानूनी सेवाएँ प्रदान करती है। इस योजना का उद्देश्य कानूनी सेवाओं को संस्थागत बनाना, सामाजिक समावेश सुनिश्चित करना और श्रमिकों और नियोक्ताओं दोनों के बीच अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। आवश्यकतानुसार किसी भी न्यायालय या प्राधिकरण के समक्ष कानूनी सहायता और प्रतिनिधित्व प्रदान करना होता है।
इस मौक़े पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिवक्ता महिपाल सिंह ने लोगो को जानकारी देते हुए बताया किऔर बंधुआ श्रम प्रणाली उन्मूलन अधिनियम 1976, बाल श्रम निषेध और विनियमन अधिनियम 1986 और किशोर न्याय अधिनियम 2000 के तहत प्रदान किए गए अनुसार उनके बचाव, रिहाई और पुनर्वास की सुविधा प्रदान करेंगे।श्रमिकों की पहचान और पंजीकरण असंगठित श्रमिकों की पहचान और पंजीकरण करने तथा उन्हें सरकारी योजनाओं तक पहुंच प्रदान करने में सहायता करने के लिए राज्य सरकार और जिला प्रशासन की मशीनरी का उपयोग किया जाता है। मौजूदा कानूनों और योजनाओं के तहत श्रमिकों के बीच उनके अधिकारों के बारे में जानकारी का प्रसार करना तथा नियोक्ताओ को उनके वैधानिक दायित्वों के बारे में शिक्षित करना है। उन्होंने बताया कि प्रासंगिक योजनाओं के अंतर्गत पंजीकरण के लिए श्रमिकों को परामर्श और सहायता प्रदान करता था।
पी एल वी शशि गुप्ता ने लोगो को बताया कि विधिक सेवा संस्थाओं का पहला काम राज्य के श्रम विभाग/समाज कल्याण विभाग के पास उपलब्ध आंकड़ों को प्राप्त करके अपने-अपने क्षेत्रों में की श्रेणियों और जनसंख्या कार्यरत असंगठित श्रमिकों की पहचान करना है, और यदि आवश्यक हो त स्वयं या क्षेत्र में कार्यरत विधि छात्रों और गैर सरकारी संगठनों के सहयोग से सर्वेक्षण करना है।
पी एल वी शिवानी दीपक ने बताया कि पहचान की प्रक्रिया में, किसी भी बाल श्रमिक या बंधुआ मजदूर की पहचान करने के लिए विशेष प्रयास भी किए जाने चाहिए और यदि उक्त निषि श्रेणियों में कोई श्रमिक पाया जाता है, तो विधिक सेवा प्राधिकरण संबंधित अधिकारियों को सूचित करेंगे।
पी एल वी संगीता ने जानकारी देते हुए बताया कि राज्य प्राधिकरण प्रत्येक राज्य में क्षेत्र, जनसंख्या और अन्य प्रासंगिक कारकों के आधार पर सभी श्रेणियों की पहचान के लिए समय-सीमा निर्धारित कर सकता है।
इस मौक़े पर ग्राम प्रधान रानीनागल हरवती, हीरा सिंह, सुरेन्द्र, राम सिंह, सहित दर्जनों लोग मौजूद रहे

