टीएमयू के एग्रीकल्चर कॉलेज में कृषि उद्यमिता की अपार उम्मीदें

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टीएमयू के एग्रीकल्चर कॉलेज में
कृषि उद्यमिता की अपार उम्मीदें

कृषि हम सबके जीवन का एक अभिन्न अंग है। देश में लगभग 70 प्रतिशत लोग काश्तकार हैं। ये देश की रीढ़ के हड्डी के मानिंद हैं। कृषि प्रधान देश होने के नाते सरकारों का कृषि उत्थान पर विशेष फोकस है। कृषि में स्नातक/परास्नातक/पीएचडी होने के बाद युवाओं को सरकारी विभागों, निजी कंपनियों, अनुसंधान संस्थानों, कृषि उत्पादक कंपनियों, एनजीओ में आकर्षक जॉब्स के संग-संग स्टार्टअप्स तक स्वर्णिम करियर के तमाम विकल्प खुले हैं। प्राकृतिक खेती, स्ट्रॉबेेरी खेती, ड्रेगन फ्रूट की खेती, बांस की खेती, मोती की खेती, मशरूम की खेती, डेयरी, मुर्गी पालन, रेशम उत्पादन, सुअर पालन, मधुमक्खी पालन, मछली पालन, बागवानी, नर्सरी उत्पादन, ग्रीन हाउस, पॉली हाउस, फ्लॉवर, कोल्ड स्टोर आदि क्षेत्रों में युवाओं के लिए स्वरोजगार की भी अपार सम्भावनाएं हैं। यदि युवा कृषि के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद का कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेज़ बेस्ट है। कॉलेज में चार वर्षीय बीएससी-ऑनर्स, एमएससी- एग्रोनॉमी, साइल साइंस और प्लांट पैथोलॉजी में स्पेशिलाइजेशन में कृषि पाठ्यक्रम के संग-संग पीएचडी की सहूलियत भी है। टीएमयू का यह कृषि कॉलेज भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- आईसीएआर से मान्यता प्राप्त है। कॉलेज में यूपी के अलावा बिहार, आन्ध्रप्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, झारखंड, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड, जम्मू एंड कश्मीर, असम, मणिपुर, त्रिपुरा आदि सूबों के सैकड़ों स्टुडेंट्स अध्ययनरत हैं।

कृषि के क्षेत्र में करियर की बात की जाए तो छात्रों का रुझान इसकी बढ़ती पॉप्युलैरिटी भी है। मौजूदा समय में हाईटेक कृषि की दरकार है। नवीनतम तकनीकों के चलते ड्रोन के संग-संग हाइड्रोपॉनिक फार्मिंग और जैव प्रौद्योगिकी को अपनाने पर जोर है। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेज़ के डीन प्रो. पीके जैन बताते हैं, उन्नत कृषि तकनीकों के प्रशिक्षण के लिए कॉलेज के चार दर्जन स्टुडेंट्स लाखों के सालाना स्टाइपेंड पर डेनमार्क और जर्मनी जा चुके हैं। कॉलेज के दर्जनों स्टुडेंट्स केन्द्र की सहायता से स्वयं का पेस्टिसाइड, मछली पालन आदि का व्यवसाय प्रारम्भ किया है। साथ ही किसान उत्पादन संगठन के बैनर तले किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं। 2025 तक कॉलेज के पास आउट स्टुडेंट्स का प्लेसमेंट नामचीन कम्पनियों जैसे सिंजेन्टा, बायर जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनी, बायजू, गुजरात पेस्टिसाइड, समूर एग्रो, रेलवा एग्रो, जिनेवा क्रॉप्स, सिमफेड ऑर्गेनिक आदि में हुआ है। कॉलेज का प्लेसमेंट रिकार्ड शत-प्रतिशत है। स्टुडेंट्स का अधिकतम पैकेज अठारह लाख सालाना है। कॉलेज में ऑल फैकल्टीज नेट और पीएचडी हैं। स्टुडेंट्स के लिए आईसीएआर करिकुलम, उत्कृष्ट एग्रीकल्चर फील्ड, श्रेष्ठ प्रयोगशालाएं कालेज की विशेषताओं में शुमार हैं। प्रो. जैन बताते हैं, बीएससी- ऑनर्स एग्रीकल्चर में 180 सीटें, जबकि एमएससी के एग्रोनॉमी, साइल साइंस और प्लांट पैथोलॉजी में 10-10 सीटें हैं।


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