



टीएमयू में एक्सपर्ट्स वर्चुअली
बोले ,योग एक कल्पवृक्ष जैसा
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र की ओर से योग एवम् ध्यान: आधुनिक समस्याओं का प्राचीन समाधान – वैश्विक परिप्रेक्ष्य पर वर्चुअल संगोष्ठी,भारत के संग-संग नेपाल, हांगकांग, संयुक्त अरब अमीरात के प्रतिष्ठित योग एक्सपर्ट्स ने लिया भाग
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद में भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र की ओर से योग एवम् ध्यान: आधुनिक समस्याओं का प्राचीन समाधान – वैश्विक परिप्रेक्ष्य विषय पर हुई वर्चुअल संगोष्ठी में भारत समेत नेपाल, हांगकांग, संयुक्त अरब अमीरात के प्रतिष्ठित योग एक्सपर्ट्स ने भाग लिया। प्रमुख वक्ताओं में हांगकांग की योग विशेषज्ञा सुश्री गरिमा जैन,यूएई के डॉ. अमित कुमार सिंह भदौरिया,तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो. वीके जैन, उत्तराखंड संस्कृत यूनिवर्सिटी,हरिद्वार में योग विभाग के डीन डॉ. लक्ष्मी नारायण जोशी, योगाचार्य श्री संजय सोलंकी,इंटरनेशनल योग इंस्ट्रक्टर डॉ. योगेन्द्र सिंह कुशवाहा शामिल रहे। सभी वक्ताओं ने योग को वैश्विक संदर्भ में मानसिक स्वास्थ्य, कार्यस्थल की भलाई और सामाजिक सामंजस्य से जोड़ते हुए इसके प्रभावों पर प्रकाश डाला। इस कॉन्क्लेव का संचालन डॉ. मनु मिश्रा और डॉ. अलका अग्रवाल ने किया। अंत में सहभागियों को ई-प्रमाणपत्र भी प्रदान किए गए।
हांगकांग से डॉ. गरिमा जैन ने अरहम ध्यान योगा की संकल्पना को प्रस्तुत करते हुए इसे जैन श्रमण परंपरा की देन बताया। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य है ,अहं का विसर्जन और स्वयं का सृजन, जिससे व्यक्ति आंतरिक शांति, मानसिक संतुलन और आध्यात्मिक विकास की ओर बढ़ता है। उन्होंने पॉवर + प्योरिटी= पीस सिद्धांत के तहत बताया कि अरहम ध्यान योगा से व्यक्ति को शक्ति, पवित्रता और शांति प्राप्त होती है। उन्होंने अरहम फ्रेमवर्क के पाँच चरण के संग- संग पंच मुद्रा और अरहम क्लैप्स की पाँच विधियाँ साझा कीं, जो शरीर, मन और आत्मा के समन्वय में सहायक हैं। अंत में उन्होंने अहरम योगा को एक समग्र जीवनशैली बताते हुए इसे आधुनिक जीवन की मानसिक समस्याओं के लिए एक प्रभावी समाधान बताया। यूएई से डॉ. अमित कुमार सिंह भदौरिया ने योग और ज्ञान के समन्वय को समय की आवश्यकता बताते हुए कहा, योग केवल व्यायाम नहीं, बल्कि एक समग्र जीवन शैली है। अनुलोम-विलोम, नाड़ी शुद्धि जैसे प्राचीन प्राणायाम मानसिक तनाव, नींद की कमी और ब्लड प्रेशर जैसी समस्याओं में अत्यंत लाभकारी हैं। उन्होंने भक्ति योग और निद्रा योग के माध्यम से कोविड काल में योग की योगा की संकल्पना को प्रस्तुत किया।
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. वीके जैन ने भारतीय ज्ञान प्रणाली को बढ़ावा देने हेतु यूनिवर्सिटी की पहल- जैसे सीआईकेएस की स्थापना के संग-संग योग के समग्र लाभों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया, योग मानसिक, शारीरिक और आत्मिक स्वास्थ्य का समन्वय है। उन्होंने योग के स्वास्थ्य लाभों जैसे तनाव में कमी, मधुमेह नियंत्रण और बेहतर नींद की ओर ध्यान दिलाया। उत्तराखंड संस्कृत यूनिवर्सिटी,हरिद्वार में योग विभाग के डीन डॉ. लक्ष्मी नारायण जोशी ने राष्ट्रीय कॉन्क्लेव में योग के वास्तविक स्वरूप पर जोर देते हुए कहा कि योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि एक आत्मिक साधना और जीवनशैली है। उन्होंने योग को कल्पवृक्ष की संज्ञा देते हुए बताया कि यह व्यक्ति के जीवन के हर क्षेत्र में फलदायक है। उन्होंने कहा कि योग का उद्देश्य चित्त की वृत्तियों का नियंत्रण और आत्म-ज्ञान की प्राप्ति है, जिसे ऋषि परंपरा के माध्यम से ही सही रूप में सीखा जा सकता है। नाड़ी विज्ञान, प्राण संचरण और अंतःशक्ति के विकास के संदर्भ में उन्होंने योग की वैज्ञानिक महत्ता भी स्पष्ट की।अष्टांग योग के आठ अंगों का उल्लेख करते हुए उन्होंने इसे सम्पूर्ण जीवन दर्शन बताया और…संतुलित आहार और प्रकृति के साथ सामंजस्य को आवश्यक बताया। अंत में उन्होंने अपील की कि योग को केवल आसन तक सीमित न रखें, बल्कि उसे चिंतन, आत्म-साक्षात्कार और जीवन व्यवहार में उतारें।
राष्ट्रीय कॉन्क्लेव में योगाचार्य संजय सोलंकी ने योग और धर्म के गहरे संबंध को रेखांकित करते हुए कहा कि योग केवल शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि एक जीवन दर्शन है, जिसका आधार अहिंसा परमो धर्म है। उन्होंने बताया कि योग शरीर, मन और आत्मा के संतुलन के साथ सत्य, संयम और शील जैसे नैतिक मूल्यों को भी विकसित करता है। महर्षि पतंजलि और भगवान महावीर के योगदान का उल्लेख करते हुए उन्होंने योग को प्राचीन और सार्वभौमिक विज्ञान बताया। उन्होंने बच्चों की शिक्षा में योग को आवश्यक बताते हुए कहा कि इससे एकाग्रता, चरित्र निर्माण और अनुशासन विकसित होते हैं। योग नशा मुक्ति, मानसिक शांति और सामाजिक समरसता को भी बढ़ावा देता है। सूर्य नमस्कार जैसे अभ्यास सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं। इंटरनेशनल योग इंस्ट्रक्टर डॉ. योगेन्द्र सिंह कुशवाहा ने आधुनिक युग में योग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज की तेज़ और तनावपूर्ण जीवनशैली में योग केवल व्यायाम नहीं, बल्कि मानसिक शांति और जीवन संतुलन का विज्ञान है। उन्होंने बताया कि योग – विशेषकर प्राणायाम, भ्रामरी, योग निद्रा और ध्यान से तनाव, चिंता,अनिद्रा जैसी समस्याओं में राहत मिलती है। योग मन, शरीर और आत्मा के बीच संतुलन बनाकर व्यक्ति को मानसिक स्पष्टता, अनुशासन और आंतरिक शक्ति प्रदान करता है।अंत में उन्होंने योग को केवल अभ्यास न मानकर, एक जीवनशैली के रूप में अपनाने का आग्रह किया, जिससे व्यक्ति आंतरिक रूप से सशक्त होकर बाहरी चुनौतियों का सामना कर सके।