किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार, जीना इसी का नाम है

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किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार, जीना इसी का नाम है

काशीपुर। किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार, किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार जीना इसी का नाम है। अनाड़ी फिल्म की इन पंक्तियों को चरितार्थ किया है डी बाली ग्रुप की मैनेजिंग डायरेक्टर श्रीमती उर्वशी दत्त बाली ने। मौका था उनके ससुर स्वर्गीय श्री रतनलाल बाली की पुण्यतिथि का। लिहाजा इस अवसर पर उन्हें बेहतर लगा कि उन दिव्यांग बच्चों के बीच जाया जाए जिनमें से अधिकांश अनाथ हैं और प्रकृति ने भी उन्हें पूरे अंग तक नहीं दिए हैं। किसी का हाथ खराब है तो किसी का पैर। कोई न सुन पा सकता है और ने बोल सकता है। कई तो ऐसे हैं जो चल फिर भी नहीं सकते।
श्रीमती उर्वशी दत्त बाली अपनी पुत्री मुद्रा बाली के साथ पीरु मदारा के पास गांव बसई में स्थित यू एस आर इदू समिति द्वारा संचालित दिव्यांग बच्चों के स्कूल में पहुंची और उन्हें गले लगाया। क्योंकि श्रीमती बाली अकसर इस विद्यालय में जाकर बच्चों के साथ न सिर्फ समय बिताती हैं बल्कि उनके लिए खाने पीने का सामान व अन्य गिफ्ट तथा कपड़े आदि लेकर जाती हैं इसलिए दिव्यांग बच्चे भी उन्हें खूब पहचानने लगे हैं। छोटे-छोटे बच्चे उन्हें देखकर खुश हो गए। यहां करीब 65 बच्चे हैं जिनमें से 40 अनाथ है जो बच्चे बोल नहीं सकते और न सुन सकते आप देखिए उन्होंने सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित कर सभी का मन मोह लिया। विद्यालय पहुंचने पर वहां के संचालक संदीप रावत प्रधानाचार्य श्रीमती कमला तिवारी अधीक्षक अनुप्रिया शर्मा प्रोविजन ऑफिसर अभिषेक शर्मा वीरेंद्र सिंह रावत सपना आदि ने श्रीमती बाली का स्वागत किया। बच्चों को भोजन कराया गया और इनके द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में श्रीमती बाली ने भाग लिया और एक लाइव कार्यक्रम के द्वारा समाज के सभी लोगों को संदेश दिया गया कि वह भी इन बच्चों के पास आए और उनके सूने और अधूरे जीवन में खुशी लाने का प्रयास करें। यह बच्चे कई तरह के सामान भी बनाते हैं उन्हें खरीद कर इन बच्चों का हौसला बढ़ाया जा सकता है।


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