उत्तराखंड में छठ पर्व पर अवकाश न होना दुर्भाग्यपूर्ण : बेहड़
उत्तराखंड में बड़ी संख्या में पूर्वी समाज के लोग निवास करते हैं, जिनकी सांस्कृतिक और धार्मिक आस्था महापर्व छठ से गहराई से जुड़ी हुई है। लेकिन वर्तमान भाजपा सरकार द्वारा इस महत्वपूर्ण पर्व पर अवकाश न देना अत्यंत खेदजनक और निंदनीय है। महापर्व छठ के प्रति ऐसा उपेक्षापूर्ण रवैया न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि यह कदम उनकी धार्मिक आस्था को आघात पहुंचाने के साथ-साथ सामाजिक समरसता पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
पूर्व में, जब आदरणीय हरीश रावत जी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री थे, तब राज्य में छठ पर्व के अवसर पर अवकाश घोषित किया जाता था । इसका उद्देश्य था कि उत्तराखंड में निवास करने वाला पूर्वी समाज अपने इस महापर्व में श्रद्धा और उत्साहपूर्वक शामिल हो सके। यह अवकाश उन्हें अपने रीति-रिवाज और धार्मिक मान्यताओं का पालन करने की सुविधा प्रदान करता था, जिससे उनकी सांस्कृतिक धरोहर को संजीवनी मिलती थी।
हम सभी को विभिन्न समाजों की मान्यताओं और पर्वों का सम्मान करना चाहिए। मैं इस अवकाश को निरस्त किए जाने की घोर निंदा करता हूं और दुख की बात है कि जो जब हरीश रावत जी के द्वारा छठ पूजा पर अवकाश घोषित किया गया था तो एक भाजपा के नेता द्वारा इस अवकाश का श्रेय लिया गया था अब जब आज उनकी ही सरकार है तब वह नेता जो पूर्वी समाज के हितों की बात करते हैं, उनके द्वारा अब तक इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। क्या यह चुप्पी उचित है? क्या किसी धार्मिक महापर्व के प्रति इस तरह का उपेक्षापूर्ण रवैया सही है?
आप सभी को लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं।