नेता प्रतिपक्ष आर्य ने किसानों के आंदोलन को समर्थन दिया 

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नेता प्रतिपक्ष आर्य ने किसानों के आंदोलन को समर्थन दिया

 

कहा मोदी सरकार ने किसानों को छला

 

देहरादून नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने किसानों के आंदोलन को समर्थन देते हुए कहा की केंद्र सरकार किसानों के साथ वादाखिलाफी कर रही है उन्होंने कहा सरकार पूंजीपतियों को लाभ दिलाने के लिये किसानों का शोषण कर रही है

प्रेस को जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष आर्य ने कहा की देश के किसान तीन काले कृषि कानूनों को वापस लेते समय दिए गए आश्वासनों के पूरा न होने के विरोध में नई दिल्ली तक मार्च कर रहे हैं लेकिन दिल्ली पुलिस और हरियाणा पुलिस द्वारा किसानों को परेशान करने और उन्हें उनके वैध अधिकारों का प्रयोग करने से रोकने के लिए जिन तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है, वह बेहद अलोकतांत्रिक है और केंद्र सरकार की किसान-विरोधी मानसिकता को दर्शाता है.

 

श्री आर्य ने कहा किसान आंदोलन के लिए कारण स्पष्ट हैं. चाहे वह पूंजीपतियों की मदद के लिए भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन करने की कोशिश हो अथवा तीन काले कृषि कानून लाना रहा हो इन्होंने हर तरह से किसानों को नुक़सान पहुंचाने का प्रयास किया है उन्होंने कहा किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी भी आज तक नहीं मिली है किसानों के लिए बाज़ार को कमज़ोर करने का कार्य किया गया है यहां तक कि मोदी सरकार किसानों को उचित लागत मूल्य देने में भी विफल रही है

नेता प्रतिपक्ष ने कहा 2004-14 की अवधि में कांग्रेस सरकार के दौरान गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 126 फीसदी की बढ़ोतरी की गई थी

अगर वर्तमान सरकार द्वारा किसानों को वहीं न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान किया जाता तो आज उन्हें प्रति क्विंटल गेहूं का मूल्य 3277 रुपये मिल रहा होता ना कि मौजूदा समय में जो मिल रहा है 2275 रुपये.

 

किसान ऋण के दुष्चक्र में फंसते जा रहे हैं. वर्ष 2013 से किसानों के ऊपर क़र्ज़ में 60 फीसदी बढ़ोतरी हुई है और इससे किसानों स्थिति बेहद ख़राब हो चुकी है. प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना के तहत बीमा करवाने वाले लाखों किसानों को उनके क्लेम के भुगतान में देरी की समस्या का सामना करना पड़ता है

सरकार के अपने ही आंकड़ों के मुताबिक़ ’21-’22 में लगभग 2761 करोड़ रुपए के क्लेम लंबित थे.

 

आर्य ने कहा 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के बड़े-बड़े दावों और भाषणों की आड़ में अन्नदाताओं की वास्तविकता को छुपाने की कोशिश की गई

हक़ीक़त यह है कि किसान एक सम्मानजनक जीवन भी नहीं जी पा रहे हैं. वे क़र्ज़ में डूबे हैं और उन्हें उनकी फ़सलों के नुक़सान के लिए बीमा की राशि भी नहीं मिल रही है

 

उन्होंने कहा किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी आज तक नहीं मिली है. किसानों के लिए बाज़ार को कमज़ोर करने का कार्य किया गया है.

 

साथ ही उन्होंने भाजपा को पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने वाली सूट-बूट की सरकार बताया


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