रुद्रपुर। जिला एवं महानगर कांग्रेस की ओर से गांधी पार्क में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती सादगी के साथ मनाई गयी। इस अवसर पर जिलाध्यक्ष हिमांशु गावा के नेतृत्व में कांग्रेसियों ने गांधी जी ओर शास्त्री जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया।
इस मौके पर आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने गांधी जी और शास्त्री जी के जीवन के बारे में विस्तार से बताया। जिलाध्यक्ष हिमांशु गावा ने कहा कि महात्मा गांधी जी ने देश के लिए जो योगदान दिया उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। महात्मा गाँधी जी ने अपने असाधारण कार्यों एवं अहिंसावादी विचारों से पूरे विश्व की सोच बदल दी। आजादी एवं शांति की स्थापना ही उनके जीवन का एक मात्र लक्ष्य था। गांधी जी ने स्वतंत्रता और शांति के लिए शुरू की गई इस लड़ाई ने भारत और दक्षिण अफ्रीका में कई ऐतिहासिक आंदोलनों को एक नई दिशा प्रदान की। गांधी जी के प्रयास केवल भारतीय स्वतंत्रता तक ही सीमित नहीं थे। उन्होंने विभिन्न प्रकार की सामाजिक बुराइयों के लिए भी संघर्ष किया। अस्पृश्यता, जातिवाद, महिला अधीनता आदि के खिलाफ उन्होंने मुहिम चलाई। उन्होंने गरीबों और जरूरतमंदों की मदद के लिए भी महत्वपूर्ण प्रयास किए। गांधी जी अहिंसा के दर्शन में दृढ़ता से विश्वास रऽते थे। जिसके चलते उन्होंने शांतिपूर्ण तरीके से ब्रिटिश शासन का विरोध किया। अपनी अविश्वसनीय प्रभावशीलता के कारण गांधीजी विश्व भर के नेताओं के लिए प्रेरणा बन गए।
इस अवसर पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता गोपाल भसीन ने कहा कि देश में अभिव्यत्तिफ़ की स्वतंत्रता का गला घोटा जा रहा है। कांग्रेस का मुख्य उद्देश्य गांधी द्वारा दिखाए गए अहिंसा व सच्चाई के रास्ते पर चलना है। कहा कि गांधी जयंती पर देशवासियों को भय, घृणा और हिंसा के माहौल के खिलाफ एकजुटता का संकल्प दिलाना ही बापू को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। श्री भसीन ने कहा गांधी जी ने देश को गुलामी से मुत्तिफ़ दिलाई और वे सिर्फ समाज सुधारक नहीं थे बल्कि राष्ट्र निर्माता और व्यत्तिफ़ सुधारक भी थे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीयता का मतलब गांधी ने बताते हुए कहा कि धर्म नहीं, बल्कि इंसानियत और मानवता से ही सर्वांगीण विकास संभव है।
महानगर अध्यक्ष सीपी शर्मा एवं पार्षद मोहन खेड़ा सहित अन्य वक्ताओं ने कहा कि युवा पीढ़ी गांधीजी के उस कथन को हमेशा याद रऽें कि क्रोध को जीतने में मौन सबसे अधिक सहायक है,साथ ही गरीबी दैविक अभिशाप नहीं है बल्कि मानव रचित षडड्ढंत्र है,जो लोग अपनी प्रशंसा के भूखे होते हैं वे साबित करते हैं कि उनमें योग्यता नहीं है। अपनी गलती को स्वीकारना झाड़ू लगाने के समान है, जो धरातल की सतह को चमकदार और साफ कर देती है, केवल प्रसन्नता ही एक मात्र है जिसे आप दूसरे पर छिड़के तो उसकी कुछ बूंदे अवश्य ही आप पर भी पड़ती है।
इस अवसर पर सौरभ चिलाना, मोहन खेड़ा, गोपाल भसीन, पवन वर्मा, ममता रानी, सुनील आर्या, उमा सरकार, दीप्ती गर्ग, सतीश कुमार, पवन गावा पल्ली, इन्द्र सिंह रौतेला, नवीन खेतवाल, भूपेन्द्र कुमार, मोहन भारद्वाज, राजेश कुमार, अशफाक, अशीम पाशा, मधु सोनी, विनोद कुमार, ज्योति टम्टा, ओमवती देवी, रमेश बोरा, अमन जौळरी, सुनील राठौर, गोपाल यादव, मुमकेश चौळान, सुभाष रस्तौगी, धर्मवती, इन्द्रासन यादव, मान सिंह, गुरदेव सिंह, अरशद खान, शाहिद रजा, राजेन्द्र शर्मा, कलीम अहमद, मो- राशिद, परवेज कुरैशी, कमर खान, सुभान अली, शैलेन्द्र शर्मा, विरेन्द्र कोली, चन्द्रपाल, मदन, मनोहर चन्द्र लोहनी, नरेन्द्र राजभर, प्रभुनाथ वर्मा, हरीश चन्द्र पाण्डे, अवमार सिंह बिष्ट, अनिल जोशी, सुभाष मिश्रा, मदन मोहन पाण्डे, विक्की गुप्ता, नवीन सिंह, शुभम मेहरा, सुरेश यादव, ओमप्रकाश, हरी राम, मनीष यादव, विक्की यादव, पवन राठौर, राघव सिंह, अनंत विश्नोई, आकाश कुमार, निसार खान आदि थे।