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22 साल बाद सर्दी में होगा रमजान का आगाज, 2004 में अक्तूबर और नवंबर के बीच गुलाबी सर्दी में आए थे रोजे

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22 साल बाद सर्दी में होगा रमजान का आगाज,

2004 में अक्तूबर और नवंबर के बीच गुलाबी सर्दी में आए थे रोजे

काशीपुर।‌ इस बार रोजेदारों को सूरज की तपिश या उमसभरी गर्मी का सामना नहीं करना पड़ेगा। 22 साल बाद 2026 में माह-ए-रमजान की आमद सर्दी में होगी। नए साल में रमजान की शुरुआत 18 फरवरी से होने का अनुमान है।
इससे पहले 2004 में रमजान का महीना अक्तूबर और नवंबर के बीच गुलाबी सर्दी में गुजरा था। माह-ए-रमजान इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना होता है। वर्ष 2004 से 2025 तक 22 बार रमजान का महीना आया। जो पिछले 22 वर्षों में मार्च से अक्तूबर के बीच गुजरा है। इस बीच रोजेदारों ने अप्रैल-मई की झुलसा देने वाली तपिश सही। वहीं जून, जुलाई, अगस्त में पसीने से तरबतर करने देने वाली उमसभरी गर्मी भी झेली। मार्च और सितंबर के महीनों में रोजदारों को अपने सब्र का इम्तिहान देना पड़ा। अब रमजान का महीना खिसक कर सर्दियों में पहुंचने वाला है।
करीब 22 साल बाद मुकद्दस रमजान की आमद ठंड के मौसम में होगी। वर्ष 2026 रमजान की शुरुआत 18 फरवरी से होने की उम्मीद है। इसके बाद आने वाले 11 साल में रमजान का माह कंपा देने वाले दिसंबर, जनवरी, फरवरी की सर्दियों में आएगा। इसके अलावा अक्तूबर और नवंबर की गुलाबी सर्दी भी रोजदारों को राहत देगी।
*इसलिए 10 से 12 दिन पीछे खिसकता है रमजान*
उलमा के मुताबिक रमजान इस्लामिक कैलेंडर का नाैवां महीना‍ है। रमजान की तारीखें इस्लामी कैलेंडर से तय होती हैं। जो एक हिजरी चंद्र कैलेंडर है जिसमें 12 चंद्र महीने होते हैं। हर महीना अर्द्धचंद्र के दिखने के साथ शुरू होता है। चंद्र महीना 29 या 30 दिन का होता है, जिससे चंद्र वर्ष करीब 354 दिन का हो जाता है। ऐसे में साैर गणना आधारित ग्रेगोरियन वर्ष 10 से 12 दिन छोटा हो जाता है। इस अंतर के कारण रमजान हर साल ग्रोगोरियन कैलेंडर में पहले शुरू होता है और हर 33 साल में एक समय माैसमी चक्र को पूरा करता है।


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