डाक सेवकों की भर्ती में उत्तराखंड के युवाओं की अनदेखी : सरस्वती
काशीपुर : वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एवं उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी के प्रदेश सचिव जितेंद्र सरस्वती ने कहा की उत्तराखंड के युवाओं के सरकारी नौकरियों में अवसर सीमित होते जा रहे हैं, जो की एक गंभीर मुद्दा है। उन्होंने कहा कि अन्य प्रदेशों के युवा उत्तराखंड में सरकारी रोजगार प्राप्त कर रहे हैं,यह स्थिति स्थानीय युवाओं के लिए धक्के के समान है। कांग्रेसी नेता सरस्वती ने कहा कि उत्तराखंड में ग्रामीण डाक सेवकों के पदों में बाहरी राज्यों के युवाओं को महत्व देना स्थानीय युवाओं की अनदेखी दिखाता है। कुछ डाक सेवक ऐसे भी दिखाई दिए जिनको हिंदी लिखना बोलना तक नहीं आता, इनके गणित में 100 में से 90 एक अंक है, लेकिन उनको प्रतिशत तक निकलना नहीं आता । सरकार की अनदेखी उत्तराखंड के युवाओं के हितों पर कुठाराघात है। जबकि इससे स्थानीय श्रम और प्रतिभा की अनदेखी की होती है। सरस्वती ने कहा कि उत्तराखंड में रोजगार की कमी के कारण यहां के युवा आज रील ब्लॉगिंग की ओर बढ़ रहे हैं, इससे वह प्रसिद्ध हो सकते हैं, लेकिन भविष्य की आर्थिक सुरक्षा को प्राप्त नहीं कर सकते, जो की चिंता का विषय है। सरकार के पास रोजगार की कोई भी ठोस नीति न होने के कारण उत्तराखंड का युवा पलायन की ओर बढ़ रहा है। पीसीसी सचिव सरस्वती ने कहा कि सरकार को कौशल सुधार पर ध्यान देने की आवश्यकता है,इस माध्यम से उत्तराखंड का युवा प्राइवेट सेक्टर में भी रोजगार प्राप्त कर आर्थिक रूप से मजबूत हो सकता है। वही अपना उद्योग लगाने पर कई अन्य लोगों को रोजगार भी दे सकता है। उन्होंने कहा कि योग्यता का पलायन उत्तराखंड को विकास में पीछे ले जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 तक डाक सेवक की भर्ती डिवीजन स्तर पर होती थी, इसके बाद यह अखिल भारतीय स्तर पर हो रही है। लेकिन इस स्तर पर उत्तराखंड डिवीजन में केवल उत्तराखंड के लोगों को ही प्राथमिकता दी जाए तो बेहतर होगा। क्योंकि इस कार्य में आम बोलचाल की भाषा को वरीयता दी जाती हैं,अन्य राज्यों की बोलचाल और भाषा उत्तराखंड की आम बोलचाल की भाषा से बिल्कुल भिन्न है। सरस्वती ने आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार की इस विषय में लापरवाही उत्तराखंड के युवाओं का भविष्य खराब कर रही है।