देहरादून। उत्तराखंड राज्य के राज्य प्रशासनिक सेवा के पहले बैच (2002) के अफसरों को सुप्रीम कोर्ट से सुप्रीम तोहफा मिला है। इन अफसरों के आईएएस में प्रमोशन में रोड़े अटकाने वाली लाबी को सुप्रीम कोर्ट से फटकार मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि एक माह में डीपीसी के बाद सभी को आईएएस में प्रमोट किया जाए।
2002 के राज्य प्रशासनिक सेवा के 18 अफसर लंबे समय से प्रमोशन की जंग लड़ रहे हैं। इन्हीं के बैच के पीपीएस अफसर पदोन्नति पाकर जिलों में कप्तानी भी कर चुके हैं और कई इस समय भी कर रहे हैं। लेकिन इसी बैच के पीसीएस अफसरों के आईएएस में पदोन्नति में एक लाबी लंबे समय से रोड़े अटका रही थी। ये अफसर सुप्रीम कोर्ट से भी जीत गए थे। लेकिन सरकारों की चहेती लाबी ने इन्हें प्रमोट नहीं किया।
इसके बाद पीसीएस अफसर विनोद गिरि गोस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में मानहानि याचिका दाखिल की थी। इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति जस्टिस एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति जस्टिस बीआर गवई की खंडपीठ ने आज मंगलवार को इसका निस्तारण किया। खंडपीठ ने सरकार को आदेश दिया है कि एक माह के अंदर डीपीसी कराकर पात्र लोगों को वरीयता के आधार पर वरिष्ठता सूची जारी की जाये और 2005 के सीधी भर्ती के अधिकारियों को सीनीयर बनाया जाये, जिससे आईएएस में पदोन्नति का रास्ता साफ हो जायेगा।
बता दें कि 2002 बैच में 18 पीसीएस अफसर ललित रयाल, आनंद श्रीवास्तव, हरीश कांडपाल, गिरधारी रावत, मेहरबान सिंह बिष्ट, आलोक पांडे, बंशीधर तिवारी, रुचि रयाल, झरना कमठान, दीप्ति सिंह, रवनीत चीमा, प्रकाश चंद, निधि यादव, प्रशांत, आशीष भटगई, विनोद गिरि गोस्वामी, संजय और नवनीत पांडे शामिल है। कैडर कोटे के अऩुसार इनमें से वरिष्ठता के आधार पर 14 अफसर आईएएस बन जाएंगे और शेष चार पद रिक्त होने पर प्रमोशन किया जाएगा। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आनंद श्रीवास्तव व ललित मोहन रयाल को 2012 का बैच, हरीश कांडपाल व संजय कुमार को 2013 का बैच, मेहरबान सिंह बिष्ट, नवनीत पांडे व गिरधारी सिंह रावत को 2014 का बैच, आलोक पांडे व बंशीधर तिवारी को 2015 का बैच, रुचि मोहन रयाल व झरना कमठान को 2016 का बैच मिलेगा। साथ ही अन्य बचे पीसीएस अधिकारियों को पद रिक्त होने पर आईएएस बैच दिया जायेगा।