शोभायात्रा के बाद कामना सागर में लगी आस्था की डुबकी

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दिनेशपुर। मतुआ सम्प्रदाय के धर्मगुरु श्री हरिचांद ठाकुर के 211 वें जन्मोत्सव पर नगर के हरिचांद गुरुचांद मंदिर में बने कामना सागर में महावरुणी स्नान महोत्सव का आयोजन किया गया । स्नान से पूर्व नगर में आचार्य विवेकानंद जी की अगुआई में भव्य शभयात्रा निकाली गई । जय हरिबोल के उद्घोष से नगर का वातावरण भक्तिमय बना रहा । वही मंदिर परिसर में वर्तमान आचार्य विवेकानंद ब्रह्मचारी ने कई लोगों को दीक्षा देकर मतुआ संप्रदाय में शामिल किया। रविवार की सुबह मतुआ अनुयायियों ने प्रशासन की ओर से गठित समिति की देखरेख में ढोल नगाड़ों व दिवंगत आचार्य गोपाल महाराज के चित्र को रथ में सजाकर वर्तमान आचार्य विवेकानंद ब्रह्मचारी के साथ नगर में भव्य शोभायात्रा निकाली। शोभायात्रा में विधायक अरविंद पांडेय के साथ कई जनप्रतिनिधि भी शामिल हुए। जिसके बाद श्रीओड़ाकांदी धाम बांग्लादेश में स्थित मुख्य तालाब, सात समुंदर और देश की प्रमुख 13 नदियों से लाए गए जल को कृत्रिम तालाब कामना सागर में मिलाकर उसे पवित्र किया गया। हजारों लोगों ने कामना सागर में फल दान किया। सुबह 11 बजे से मधुकृष्ण त्रयोदशी महायोग में महावारूणी स्नान शुरू हुआ। जो देर रात तक चलता रहा। इस दौरान हरिचांद ठाकुर के जीवन पर आधारित बंगाली लोक कला जात्रागान तीन कोड़ीर भावांतर का आयोजन हुआ। इस मौके पर क्षेत्रीय विधायक अरविंद पांडेय , सीमा सरकार , सुभाष सरकार , डॉ सुधीर राय , आशुतोष राय , लक्ष्मी राय , भोला शर्मा , हिमांशु सरकार , सुनीता मिस्त्री , सत्यजीत विश्वास , राजेश नारंग , रवि सरकार , शिशिर तरफदार सहित तमाम लोग उपस्थित रहे ।

 

शोषितों के लिए जीवन भर समर्पित रहे ठाकुर हरिचांद

विकास राय

दिनेशपुर। महावारुणी स्नान महोत्सव हरिचांद गुरुचांद मतुआ संप्रदाय का प्रमुख पर्व है। इस दिन हरिचांद गुरुचांद मतुआ मिशन के संस्थापक श्री हरिचांद ठाकुर जी का जन्म 1812 में पूर्वी बंगाल के ओड़ाकांदी गांव में पंडित जसोमंत के घर हुआ था। ब्राह्मण कुल में जन्म लेने के बाद भी हरिचांद ठाकुर ने शोषितों पर हो रहे अत्याचार को देख उनके उद्धार का बीड़ा उठाया। इसके लिए उन्होंने मतुआ मिशन की स्थापना की।1878 में उनकी मृत्यु के बाद उनके पुत्र गुरुचांद ठाकुर ने उनकी याद में 1880 से बांग्लादेश के ओड़ाकांदी धाम में महावारूणी स्नान की शुरुआत की थी। हरिचांद ठाकुर ने जीवन भर दबे कुचले, शोषित और अज्ञानियों के लिए संघर्ष किया। हरिचांद ठाकुर के कार्य से प्रभावित होकर एक अंग्रेज अधिकारी ने ईसाई धर्म को त्याग कर उनके अनुयाई बने। बाद में इस अंग्रेज अधिकारी ने ब्रिटिश पार्लियामेंट में शोषितों पर सवर्णों के अत्याचार का मामला उठाकर उस पर रोक लगाने की मांग की थी। इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने आदेश जारी कर अत्याचार बंद करने, उन्हें चांडाल के नाम से पुकारने अथवा लिखने पर पाबंदी लगा दी। हरिचांद ठाकुर के अथक प्रयास से ही शोषितों को चांडाल नाम से मुक्ति मिली थी। हरिचांद ठाकुर ने 1878 में मानव शरीर को त्याग दिया। बाद में उनके पुत्र गुरुचांद ठाकुर इस संप्रदाय के धर्मगुरु बने,और उन्होंने 1880 में महावारूणी स्नान की शुरुआत की। दिनेशपुर में 1983 में आचार्य श्री गोपाल महाराज ने हरिमंदिर के स्थापना की थी। और तभी से यहां महावारूणी स्नान होता आ रहा है। 19 अक्टूबर 2020 को आचार्य गोपाल महाराज ब्रह्मलीन हो गए थे। उनकी मृत्यु से पहले पश्चिम बंगाल के ठाकुर नगर स्थित ठाकुरबाड़ी के प्रमुख व वर्तमान सर्व भारत मतुआ धर्म के संघाधिपति सांसद शांतनु ठाकुर ने दिनेशपुर में आकर गोपाल महाराज को मतुआ महारत्न की उपाधि दी थी। संवाद।

सुरक्षा की दृष्टि से रूट किए गए डायवर्ट

दिनेशपुर। महावारूणी स्नान महोत्सव के दौरान पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रही। स्नान के चलते जाफरपुर मार्ग पर दिनभर यातायात व्यवस्था प्रभावित रही। भारी वाहनों के प्रवेश पर नगर में प्रतिबंध लगा दिया गया था। जाफरपुर की ओर से आने वाले वाहनों को बुक्सौरा, दुर्गापुर मार्ग से डायवर्ट किया गया। नगर में नो एंट्री लगाई गई,और मुख्य चौराहे से लेकर हरि मंदिर तक वाहनो को नहीं जाने दिया गया। सुबह आठ बजे के बाद मंदिर परिसर के आसपास यातायात पूरी तरह से बंद कर दिया गया। चप्पे-चप्पे पर पुलिस और पीएसी के जवान तैनात रहे। स्नान कार्यक्रम समाप्त होने के बाद शाम को यातायात व्यवस्था को सुचारू कर दिया गया। संवाद

मतुआ संप्रदाय हिंदू धर्म का ही अंग

दिनेशपुर। मतुआ संप्रदाय हिंदू धर्म का ही एक अंग है। इसमें लाल झंडा निशान का विशेष महत्व है।मतुआ अनुआई जब किसी मंदिर या धार्मिक स्थल में जाते तो इसी लाल झंडे को हाथ में थाम कर ढोल और कांसे की धुन पर तीव्र गति से दौड़ते हुए जाते हैं। मंदिर या धार्मिक स्थानों पर केवल हरि बोल का का ही उच्चारण होता है।


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