देहरादून शहर ” स्मार्ट सिटी ” के बजाय ” तालाबों का शहर ”  

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देहरादून शहर ” स्मार्ट सिटी ” के बजाय ” तालाबों का शहर ”

 

नेता प्रतिपक्ष आर्य ने सरकार पर निर्माण कार्यों में उदासीनता का लगाया आरोप

 

कहा करोड़ो रुपए खर्च करने के बाबजूद आम लोग परेशान

 

देहरादून नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने आरोप लगाया कि , करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी देहरादून शहर ” स्मार्ट सिटी ” के बजाय ” तालाबों के शहर ” में बदल गया है । उन्होंने कहा कि , केंद्र सरकार स्मार्ट सिटी मिशन समेटने की ओर है और स्मार्ट सिटी के नए कामों पर केंद्र सरकार की ओर से रोक लग चुकी है लेकिन देहरादून शहर की सड़कें मानसून आने से पहले तालाबों में बदल गयी हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि , देश के किसी राज्य के प्रमुख शहर की ऐसी बुरी हालात नही हो सकती है जैसी पिछले 3 दिन की बरसात के बाद देहरादून की हुई है।

यशपाल आर्य ने बताया कि , 1461 करोड़ रुपये के शुरुआती बजट वाले स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को शुरू करते समय सरकार ने इस प्रोजेक्ट इस तरह से पेश किया था जैसे कि , ” प्रोजेक्ट पूरा होने पर दून पेरिस बन जाएगा।” लेकिन प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद से साल दर साल लोगों की परेशानियां उल्टे बड़ती जा रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि , स्मार्ट सिटी के नाम पर देहरादून की सड़कों को खोदे 6 साल बीत गये हैं लेकिन अभी तक मुश्किल से 30 प्रतिशत काम भी पूरा नहीं हो पाया है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि , जो निर्माण कार्य पूरे भी हुए हैं वे बेहद घटिया हैं। इन योजनाओं में बहुत बड़ा घोटाला हुआ है यह करदाताओं या कर्ज के पैसों में लूट का मामला है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि , सिर्फ सड़कों के मामले में ही नही सेंसर ट्रैफिक लाइटिंग, पैडिस्ट्रियन क्रॉस, स्मार्ट बस स्टॉपेज,स्मार्ट पार्किंग मैनेजमेंट, इंडिकेटिव क्रॉस आदि कार्य अभी तक केवल कागजो में ही सीमित हैं ।

यशपाल आर्य ने कहा कि , योजना को शुरू करते समय सरकार ने दावा किया था कि , शहर से निकलने वाले कूड़े से बिजली बनेगी लेकिन हकीकत में कूड़े से बिजली बनाना दूर देहरादून शहर कूडें के ढेरों से पटा है । उन्होंने कहा कि , देहरादून महानगर इस प्रोजेक्ट की कमियों के कारण पहले से अधिक जाम की समस्या से जूझ रहा है । हाल ये है कि , जब किसी विदेशी राजनायिक अथवा बड़े नेता का आगमन होता है उस दिन कुछ समय के लिए उस रास्ते को चमकाया जाता है जिससे इन महानुभावों को गुजरना होता है।

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने बताया कि , राष्ट्रीय स्तर पर स्मार्ट सिटी बनाने का मकसद था कि किसी भी शहर के हैरिटेज को सुदृढ़ रखते हुए उसे स्मार्ट बनाया जाए , उसकी सड़कें चौड़ी हों वँहा व्यवस्थित पार्किंग हो शहर में उच्चस्तरीय जल निकासी की व्यवस्था हो लेकिन 6 सात साल बीत जाने के बाद भी देहरादून शहर के ‘हाल बेहाल’ हैं। उन्होंने कहा कि अभी मानसून की बरसात की शुरुआत है परंतु देहरादून में हल्की बारिश में भी शहर की सड़कें और मुहल्ले पानी के तालाब में बदल रहे हैं।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि , कहने को तो देहरादून स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल हो गया है लेकिन अब कभी वह सचमुच स्मार्ट बन भी पायेगा या नही इसे देखने के लिए आंखे तरस रही हैं। उन्होंने कहा कि , देहरादून को स्मार्ट सिटी बनाने के नाम पर चल रहे बेतरतीब कामों के कारण आज देहरादून शहर की सड़कें जगह-जगह खुदी पड़ी हैं, जिसका खामियाजा देहरादून की आम जनता को उठाना पड़ रहा है ।

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने बताया कि , सत्ता दल के जनप्रतिनिधि भी सार्वजनिक रूप से स्वीकार रहे हैं कि , निर्माण कार्य बेहद घटिया हैं और अधिकारी परियोजना के तहत किए गए विकास कार्यों के प्रश्नों के उत्तर नहीं दे पा रहे है । उन्होंने मांग की कि , इसलिए स्मार्ट सिटी परियोजना के भ्रष्टाचार में शामिल एजेंसी और अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए और संपूर्ण कार्यों की न्यायिक जाँच होनी चाहिए।


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