भारत का संविधान विश्व में सर्वोपरि

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भारत का संविधान विश्व में सर्वोपरि

काशीपुर। जनजीवन उत्थान समिति के तत्वाधान में श्री जगदीश प्रेरणा भवन के सभागार में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसका मुख्य विषय था “संविधानवाद की संस्कृति, उसके मूल्य के अनुसार विकसित करें।” 26 नवंबर 1949 को हमने अपने संविधान को अधिनियमित कर अंगीकृत किया। इस मौके पर बोलते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार मिश्रा ने कहा किसी भी राष्ट्र के भविष्य को तैयार करने के लिए देश को कानूनी ढांचे की आवश्यकता होती है और उसे आत्मसात करने तथा उसके आदर्श के अनुसार आचरण करने की परंपरा विकसित की जाती है। बीते 75 वर्षों में हमने अपने संविधान के आदर्शों को ग्रहण किया। हमारे कई पड़ोसी देश लोकतंत्र की खुली हवा में सांस भी नहीं ले पाए हैं, जबकि हमने पिछले 75 वर्षों में दर्जनों बार आम चुनाव के माध्यम से लोकतंत्र की रक्षा की है और पूरे विश्व में एक आदर्श प्रस्तुत किया है। आजादी के बाद हमने एक नई संस्कृति को विकसित किया है। युद्ध, महामारी, सूखा आदि की आपदाओं का भी हमने मजबूती से सामना किया है। हमने अपने संविधान से समाज कल्याणकारी राष्ट्र की कल्पना की है और अंतोदय का संकल्प लिया है। हमने अपने संविधान की प्रस्तावना में आर्थिक न्याय सुनिश्चित करने का संकल्प लिया है। आज हमें अपने संविधान को आत्मसात करके उसके आदर्श के अनुरूप चलकर देश को आगे बढ़ाना है ।
25 नवंबर 1949 को संविधान सभा में डॉ. भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि संविधान की सफलता देश के नागरिकों पर निर्भर करती है। हम भारत के लोग संविधान के मूल्यों के अनुरूप संविधान वाद की संस्कृति विकसित करें।
इस मौके पर भास्कर त्यागी एडवोकेट ने अपने विचार रखते हुए कहा कि हमारा संविधान हमें कर्तव्यों तथा अधिकारों का बोध कराता है। कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार मिश्रा, भास्कर त्यागी एडवोकेट, देवांग मिश्रा एडवोकेट, सैयद आसिफ अली एडवोकेट, नवजोत सिंह एडवोकेट, अमृतपाल सिंह एडवोकेट, शालिनी मिश्रा एडवोकेट, विवेक कुमार मिश्रा एडवोकेट, कर्तव्य मिश्रा एडवोकेट आदि उपस्थित रहे।


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