राजेंद्र जी महाराज , तुलसी धाम माता जी साधारण भेष में असाधारण विभूति थी जो अंदर – बाहर दोनों से एक जैसी थी ।

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राजेंद्र जी महाराज , तुलसी धाम
माता जी साधारण भेष में असाधारण विभूति थी जो अंदर – बाहर दोनों से एक जैसी थी ।

नारायण चैतन्य जी महाराज
माता जी को मैने अपनी मां माना था और उन्होंने मुझे बहुत स्नेह दिया है , महामंडलेश्वर से भी ऊंची पदवी शक्ति पीठाधीश्वरी थी लेकिन सदैव साधारण ढंग से जीवन यापन किया।

महंत मनीष सलूजा ने कहा
कल्पना से परे है कि माता जी ब्रह्मलीन हो गई है लेकिन वो अपना आशीर्वाद हमेशा सब को देती रहेंगी । भजन के माध्यम से कहा तेरा बिछोड़ा दाती मेरे तो सहा न जाए।

सितारगंज वाले माता जी
माता जी का नाम ऐसे ही चमकता रहेगा । सन 1977 में जब वैष्णो देवी जा रही थी तो संगत के साथ माता जी के मंदिर पर रही थी ।

दिल्ली वाले माता जी
बहुत प्यार व आशीर्वाद दिया देवी जी ने और मैं जब भी आती हूं मुझे कहते थे कि एक भजन जरूर सुनाओ। माता जी के अनेकों चमत्कार है जो बया नहीं किए जा सकते।

निष्ठानंद बाई जी
गुरु शरीर छोड़ते है लेकिन अपने भक्तों के साथ अंग संग रहते है और इस शक्तिपीठ पर लोगों की मुरादे ऐसे ही पूरी होती रहेंगी ।

आनंदपुर आश्रम की बाई जी

माता जी का स्वभाव बहुत सरल था , जिसको भी देखती बड़े स्नेह से बुला लेती और बहुत प्यार मिला है माता जी से

कंचन बाई जी
माता जी ने सबको अपना आशीर्वाद दिया है , उनका जाना गहरी चोट है ।

शास्त्री जी
उम्र के साथ शरीर को त्यागना ही पड़ता है , इस शहरवासियों पर माता जी ने बहुत कृपा की है और विकट परिस्थितियों में भी समाज को जोड़ने में अहम भूमिका निभाई।


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