सुन 14 वर्षों का वनवास, मंद मंद मुस्कुराते हुये बोले राम, जो आज्ञा पिताजी महाराज

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सुन 14 वर्षों का वनवास, मंद मंद मुस्कुराते हुये बोले राम, जो आज्ञा पिताजी महाराज

 

रूदपुर- मुख्य रामलीला में विगत पंचम रात्रि राम बारात का वापसी अयोध्या आनें के बाद राजा दशरथ द्वारा राम को राजपाट देने पर विचार विमर्श करना, राजतिलक की घोषण होना, दासी मंथरा द्वारा रानी कैकयी को भड़काना, कैकयी का कोपभवन में जाकर नाराज होकर बैठ जाना, राजा दशरथ का रानी कैकयी को मनाने का प्रयास करना, कैकयी का राम को वनागमन एवं भरत को राजपाट देने का वर मांगना, राजा दशरथ द्वारा भरत को राजपाद देना, लेकिन राम को वन जानें के वर पर कैकयी से मानने की मनुहार करना, कैकयी हठ के चलते राम को वनवास होना, राम द्वारा वनों को प्रस्थान तक की लीला का मार्मिक व जीवन लीला का मंचन हुआ। पंचम रात्रि की रामलीला का उ‌द्घाटन मुख्य अतिथि पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल नें दीप प्रज्जवलित कर किया। रामलीला कमेटी ने सभी अतिथियों का माल्यार्पण कर व स्मृति चिन्ह देकर सम्मनित किया।

 

आज राम विवाह के बाद राम बारात अयोध्या नगरी में लौट आती है। हर तरफ खुशियों का माहौल था। राजा अपने गुरुओं से सलाह लेते है तो अगले दिन का ही मुहुर्त होता है। राजा राजकुमार राम को अयोध्या का राजपाट देने की घोषणा कर देते हैं।

 

यह बात जब रानी कैकयी की मुंहलगी दासी मंथरा सुनती है तो वह कैकयी को भड़का कर कोप भवन भेज देती है। राजा दशरथ उनको मनाने कोप भवन जाकर मनुहार करते है तो रानी कहती है कि उसे दो वर चाहियें, तो राजा दशरथ राम की सौगंध खाकर कहते है कि मांग रानी, बर मांग। कैकयी पहले वचन में भरत के लिये अयोध्या का राजपाट व दूसरे वर में राम को चौदह बरसों का वनबास मांगती है।

 

राजा का रंग बिलकुल उड़ गया, मानो ताड़ के पेड़ को बिजली ने मारा हो। दशरथ के बहुत समझानें पर भी कैकयी नही मानती तो दशरथ रोते-रोते राम को बनवास का आदेश देते है। राम तनिक भी व्याकुल नहीं होते। वह पिताजी को बहुत शांत स्वभाव से मंद मंद मुस्कुराते हुये जो आज्ञा पिताजी कहते है। रानी कैकयी से बहुत ही प्रेमपूर्वक और आदरपूर्वक प्रणाम करते है। माता कौशल्या से अनुमति प्राप्त करने तथा विदा लेने के पश्चात् राम जनकनन्दिनी सीता के कक्ष में पहुँचे। उस समय वे राजसी चिह्नों से पूर्णतः विहीन थे। उन्हें राजसी चिह्नों से विहीन देख कर सीता ने पूछा, हे आर्यपुत्र! आज आपके राज्याभिषेक का दिन पर भी आप राजसी चिह्नों से विहीन क्यों हैं?

 

राम ने गंभीर किन्तु शान्त वाणी में सीता को समस्त घटनाओं विषय में बताया और कहा, प्रिये ! मैं तुमसे विदा माँगने आया हूँ क्योंकि मैं तत्काल ही वक्कल धारण करके वन के लिये प्रस्थान करना चाहता। सीता बोलीं, प्राणनाथ ! पत्नी अर्द्धांगिनी होती है। यदि आपको वनवास की आज्ञा मिली है तो इसका अर्थ है कि मुझे भी वनवास की आज्ञा मिली है। कोई विधान नहीं कहता कि पुरुष का आधा अंग वन में रहे और आधा अंग घर में। हे नाथ! स्त्री की गति तो उसके पति के साथ ही होती है, इसलिये मैं भी आपके साथ वन चलूँगी। यदि आप मेरी इस विनय और प्रार्थना की उपेक्षा करके मुझे अयोध्या में छोड़ जायेंगे आपके वन के लिये प्रस्थान करते ही मैं अपना प्राणत्याग दूँगी। यही मेरी प्रतिज्ञा है। राम, लखन सीता राजा दशरथ को प्रणाम कर वनवास को चले जाते है।

 

आज, कैकयी की भूमिका में नरेश छाबड़ा, राजा दशरथ की भूमिका में प्रेम खुराना, राम की भूमिका में मनोज अरोरा, सीता की भूमिका में दीपक अग्रवाल, लक्ष्मण की भूमिका में गौरव जग्गा, भरत सौरभ राज बेहड़, शत्रुघन सचिन मुंजाल, गणेश भगवान की भूमिका में आशीष ग्रोवर, मंथरा की भूमिका में मोहन लाल भुड्डी, कौशल्या की भूमिका में अग्रिम सचदेवा ने शानदार अभिनय कर उपस्थित हजारो जनता का मन मोह लिया।

 

इस दौरान रामलीला कमेटी के अध्यक्ष पवन अग्रवाल, महामंत्री विजय अरोरा, कोषाध्यक्ष सीए अमित गंभीर, समन्यवयक नरेश शर्मा, सुभाष खंडेलवाल, ओमप्रकाश अरोरा, महावीर आजाद, हरीश धीर, अमित अरोरा बोबी, राकेश सुखीजा, अशोक गगनेजा, रामनाटक क्लब के महामंत्री आशीष ग्रोवर आशू, गुरशरण बब्बर शरणी, गौरव तनेजा, संजीव आनन्द, गौरव बेहड़, सचिन आनन्द, विजय विरमानी, अमित चावला, सचिन तनेजा, आदि सहित हजारो दर्शक मौजूद थे। मंच संचालन वरिष्ठ समाजसेवी हरीश धीर एवं मंच सचिव विजय जग्गा ने किया।

 

 

 

 

रूदपुर- पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल आज पहली बार बतौर मुख्य अतिथि श्री रामलीला में पहुँचे

 

अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि राम हमारी आस्था का केन्द्र है। हम राम के उपासक हैं। राम के बिना हमारी जीवन की कोई वैल्यू नहीं है। राम हमारी सांसों का केन्द्र है। राम वह पात्र हैं, जिनके जीवन चरित्र को देखनें भर से हमारे जीवन का कल्याण हो सकता है। राम के बिना इस समाज की कोई कल्पना नहीं की जा सकती। जो राम का नहीं, वो किसी काम का नहीं। राम वह आदर्श हैं जो माता पिता की आज्ञा से 14 वर्षों के लिये हंसते हसंते वनवास चले गये। सीता मां वो पवित्र पात्र है जिसनें पतिव्रता धर्म का पालन करते हुये पति के साथ वनों का वनवास स्वीकार किया। लक्ष्मण और भरत के पात्र भी अनुकरणनीय है।

 

पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल ने इस रामलीला मैदान को बचानें में किच्छा विधायक तिलक राज बेहड़ के महत्तवपूर्ण योगदान को स्मरण कर सराहते हुये कहा कि इस रामलीला ग्राउन्उ को बचानें, बनानें, संवारनें और प्राचीन परंपराओ को संजोनें में श्री बेहड़ का बहुत बड़ा योगदान है। वह स्वयं भी इस मंच पर दशको तक अभिनय कर चुके है।

 

पूर्व विधायक राजकुमार के ठुकराल के साथ विशिष्ट अतिथि के रूप में समाजसेवी संजय ठुकराल, राजेश ग्रोवर, अजय नारायण, पूर्व पार्षद फुदेना साहनी, विजय वाजपेयी, आनन्द शर्मा, वसीम त्यागी, रूद्रा कोली, ललित सिंह बिष्ट भी मौजूद रहे।


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