अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने बच्ची के अपहरण के मामले में पुलिस को केस दर्ज करने के आदेश दिए
काशीपुर। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने बच्ची के अपहरण के मामले में पुलिस को केस दर्ज करने के आदेश दिए हैं। कुंडेश्वरी रोड स्थित अपना घर बी-33 निवासी देवज्योति देवनाथ पुत्र गणेश चंद्र देवनाथ ने अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट काशीपुर की अदालत में प्रार्थना-पत्र देकर कहा कि उसका विवाह मोना उर्फ मोना देवनाथ के साथ हुआ था। उसके दो बच्चे वेदांत व वेदांशी हैं। उनके तलाक का मुकदमा न्यायालय में विचाराधीन है। आरोप है कि 7 फरवरी 2023 की शाम साढ़े छह बजे निर्मल हाजरा व इमली हाजरा और दो अन्य अज्ञात व्यक्तियों के साथ तलवार के दम पर वेदांशी को उठाकर ले गए। साथ ही कहा कि यदि बच्ची वापस चाहिए तो दस लाख रुपये दो, वरना बच्ची को बेच देंगे। इस घटना के बाद उसने थाना काशीपुर में प्रार्थना-पत्र दिया लेकिन सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद पंजीकृत डाक के माध्यम से एसएसपी को भी प्रार्थना-पत्र भेजा। उस पर भी कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद अधिवक्ता अमरीश अग्रवाल, मुनिदेव विश्नोई व भारत भूषण के माध्यम से अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में प्रार्थना-पत्र दिया। अधिवक्ताओं की बहस व तर्कों से संतुष्ट होकर न्यायालय ने थानाध्यक्ष काशीपुर को केस दर्ज करने का आदेश दिया है।
काशीपुर। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने बच्ची के अपहरण के मामले में पुलिस को केस दर्ज करने के आदेश दिए हैं। कुंडेश्वरी रोड स्थित अपना घर बी-33 निवासी देवज्योति देवनाथ पुत्र गणेश चंद्र देवनाथ ने अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट काशीपुर की अदालत में प्रार्थना-पत्र देकर कहा कि उसका विवाह मोना उर्फ मोना देवनाथ के साथ हुआ था। उसके दो बच्चे वेदांत व वेदांशी हैं। उनके तलाक का मुकदमा न्यायालय में विचाराधीन है। आरोप है कि 7 फरवरी 2023 की शाम साढ़े छह बजे निर्मल हाजरा व इमली हाजरा और दो अन्य अज्ञात व्यक्तियों के साथ तलवार के दम पर वेदांशी को उठाकर ले गए। साथ ही कहा कि यदि बच्ची वापस चाहिए तो दस लाख रुपये दो, वरना बच्ची को बेच देंगे। इस घटना के बाद उसने थाना काशीपुर में प्रार्थना-पत्र दिया लेकिन सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद पंजीकृत डाक के माध्यम से एसएसपी को भी प्रार्थना-पत्र भेजा। उस पर भी कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद अधिवक्ता अमरीश अग्रवाल, मुनिदेव विश्नोई व भारत भूषण के माध्यम से अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में प्रार्थना-पत्र दिया। अधिवक्ताओं की बहस व तर्कों से संतुष्ट होकर न्यायालय ने थानाध्यक्ष काशीपुर को केस दर्ज करने का आदेश दिया है।