बैंक मैनेजर ने बैंक के चार कर्मचारियों सहित आठ लोगों के खिलाफ फर्जी तरीके से लोन दिलवाने का लगाया आरोप
काशीपुर। एचडीएफसी बैंक के मैनेजर ने बैंक के चार कर्मचारियों सहित आठ लोगों के खिलाफ फर्जी तरीके से लोन दिलवाने का आरोप लगाया है। पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। एचडीएफसी बैंक के मैनेजर शाहकोट जालन्धर पंजाब निवासी ऋषि ओसवाल पुत्र कमल कुमार जैन ने एसएसपी उधमसिंहनगर को शिकायती पत्र देकर बताया कि उनके बैंक में पांच व्यक्तियों कुमार किशोर निवासी नीझड़ा फार्म जसपुर खुर्द काशीपुर, अनीता निवासी न्यू आवास विकास काशीपुर, राजपाल निवासी लक्ष्मीपुर लच्छी बाजपुर रोड काशीपुर, हर सिंह निवासी काशी विश्वनाथ टैक्सटाइल पेट्रोल पम्प काशीपुर एवं विशाल कुमार निवासी पीपलगांव रोड काशीपुर ने लोन के लिए आवेदन किया था। उक्त समस्त आवेदन पत्रों को अग्रेत्तर कार्यवाही हेतु बैंक के वेरिफायर संजीव कुमार पुत्रकृपाल सिंह निवासी मुरादाबाद को भेज दिया जिसने कस्टमर द्वारा उपलब्ध कराये गये अभिलेखों के साथ-साथ कार्यालय/घर का सत्यापन कर इसकी पुष्टि कर दी। संजीव कुमार द्वारा इन समस्त केसों को सत्यापित करने के पश्चात सिस्टम पर रिपोर्ट, फोटोज के साथ अपलोड कर दी गई। विभिन्न क्रेडिट आफिसर द्वारा अनुमोदनोपरान्त लोन की धनराशि स्वीकृति हेतु क्रेडिट हेड अतुल महाजन द्वारा हर सिंह को 10 लाख रुपये, विशाल सिंह को 15 लाख रुपये, अनीता को 3 लाख रुपये, राजपाल कुबेर को 26 लाख रुपये एवं कुमार किशोर को 9 लाख 50 हजार रुपये स्वीकत कर दिये। ऋषि ओसवाल ने बताया कि इन मामलों में एचडीएफसी बैंक ने कर्मचारियों एक्जीक्यूटिव सुमेग मेहरा द्वारा हर सिंह एवं विशाल सिंह से सम्पर्क कर कस्टमर को आवेदन पत्र भरने के लिए लिंक भेजने एवं उनके पंजीकृत मोबाइल नम्बर पर ओटीपी लॉगिन करने के लिए निर्देशित किया गया। जिनके द्वारा 21 अप्रैल 2023 एवं 24 मार्च 2023 को सत्यापित कर दिया गया, जिसमें कस्टमर अपना पूर्ण विवरण अंकित कर दर्शाता है। इसी प्रकार एक्जीक्यूटिव चन्द्र किशोर झा द्वारा अनीता, कुबेर राजपाल एवं एक्जीक्यूटिव प्रदीप कुमार शर्मा द्वारा किशोर कुमार से सम्पर्क स्थापित कर उनके मोबाइल पर लिंक ओटीपी लॉगिन कर कस्टमर से फार्म भरकर पूर्ण विवरण अंकित किये जाने की कार्यवाही की गई। ओसवाल ने बताया कि निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार आवेदकों की लोन धनराशि स्वीकृत होने के पश्चात एचडीएफसी बैंक द्वारा कुछ केसों का कालान्तर में आकस्मिक परीक्षण किया जाता है, परीक्षणोपरान्त उक्त ऋणकर्ता हर सिंह, विशाल सिंह, अनीता, कुबेर एवं कुमार किशोर द्वारा अपने आवेदन पत्र के साथ प्रदत्त बैंक स्टेटमेंट एवं वेतन प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से बनवाये गये। तदोपरान्त बैंक द्वारा इन समस्त ऋणकर्ताओं को वस्तुस्थिति से अवगत कराये जाने एवं बैंक में सम्पर्क करने हेतु कारण बताओ नोटिस भी भेजे गये। जिसका कोई उत्तर ऋणकर्ताओं द्वारा नहीं दिया गया और न ही बैंक से सम्पर्क स्थापित किया गया। ओसवाल ने बताया कि समस्त औपचारिकता पूर्ण करने के उपरान्त यह तथ्य स्पष्ट तौर पर सामने आया है कि इस कार्य में लिप्त बैंक कर्मियों सेल्स एक्जीक्यूटिव सुमेग मेहरा, चन्द्र किशोर झा, प्रदीप कुमार शर्मा के साथ-साथ वेरिफायर संजीव कुमार द्वारा अपने कर्तव्य के प्रति लापरवाही बरतते हुए सरसरी तौर पर बिना स्पॉट विजिट किये तथ्यों से परे इन ऋणकर्ताओं के पक्ष में दुरभि संधि कर सकारात्मक रिपोर्ट अंकित कर दी गई जिसके लिये प्रथम दृष्ट्या यह पूर्णरूपेण दोषी है। ओसवाल ने बताया कि उक्त के अतिरिक्त हरवेन्द्र सिंह पुत्र रमेश चन्द्र निवासी कुण्डेश्वरी काशीपुर, सुरजीत कुमार पुत्र दर्शन सिंह निवासी लक्ष्मीपुर लच्छी काशीपुर, जीत सिंह पुत्र वीरपाल सिंह निवासी जुड़का नंबर-2 कुन्डेश्वरी काशीपुर एवं मुकेश जो वर्तमान में दलाली का कार्य करते हैं, द्वारा इन समस्त लोनकर्ताओं से सीधे सम्पर्क कर फार्म भरवा कर बैंक कर्मियों से सम्पर्क स्थापित कराया गया। यह भी ज्ञात हुआ है कि इन ऋणकर्ताओं के बैंक स्टेटमेंट/सैलरी बनाने का कार्य भी इन्हीं लोगों द्वारा सम्पादित किया गया है। उक्त से स्पष्ट है कि एक आपराधिक साजिशन के तहत इन लोगों द्वारा जानबूझकर फर्जी दस्तावेज तैयार कर बैंक के सार्वजनिक धन की हानिकारक कृत्य करने के साथ-साथ बैंक को आर्थिक क्षति पहुंचाई गई है। अतः इन लोगों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाये। एसएसपी के आदेश पर ऋषि ओसवाल की तहरीर के आधार पर पुलिस ने 8 लोगों (बैंक कर्मचारियों और दलाल) के खिलाफ धारा 406, 420 आईपीसी के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।