कैब ऑपरेटरों को अब लाइसेंस लेना जरूरी, यह नियम होंगे मानने

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नई दिल्ली: ओला और उबर जैसे ऐप आधारित टैक्सी ऑपरेटरों की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एग्रीगेटर स्कीम का मसौदा जारी कर दिया गया है। इसके तहत 50 से अधिक कारों का बेड़ा रखकर ऐप से ऑनलाइन टैक्सी, मोटरसाइकिल या थ्री व्हीलर सेवा देने वालों को लाइसेंस लेना होगा।

स्कीम के तहत उन्हें स्थानीय स्तर पर ऑपरेटिंग सेंटर खोलने होंगे। अपने ऐप को भारतीय कानून के अनुसार ढालना होगा और 24 घंटे चलने वाले ऐसे सहायता केंद्र भी चलाने होंगे, जहां उनकी कारों की ट्रैकिंग हो। इमरजेंसी में उपभोक्ता और ड्राइवर तक हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं में संपर्क साधकर सहायता दी जा सके। यह योजना अभी दिल्ली में लागू करने की योजना है।
स्कीम का पालन नहीं करने वालों पर भारी जुर्माने का प्रस्ताव है। अगर गाइडलाइंस जारी होने के 3 महीने में एग्रीगेटर ने लाइसेंस नहीं लिया, तो प्रति वाहन से 25 हजार रुपए जुर्माना चुकाना होगा।

• अधिसूचना जारी होने के 100 दिन पूरे होने पर भी लाइसेंस नहीं लिया तो 500 रुपए प्रति वाहन प्रति दिन के हिसाब से जुर्माना लगेगा।
• वाहनों के बेड़े को इलेक्ट्रिक वाहन में बदलने का रोडमैप दिया गया है। लाइसेंस लेने के 6 महीने में दोपहिया और तिपहिया वाहनों में 10% को, 1 साल में 25% को और 2 साल के भीतर 50% को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलना होगा।
• कारों के बेड़े के लिए 6 महीने में 5%, एक साल में 15% और 2 साल में 25% वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलने की शर्त है। पालन नहीं करने पर प्रति वाहन रोज 1000 रुपए जुर्माना भरना होगा।

ये नियम मानने होंगे
• दिल्ली में उनका ऑपरेटिंग सेंटर, कंट्रोल सेंटर या सूचना केंद्र हो जो 24 घंटे काम करे। इसमें हर वाहन की निगरानी सुनिश्चित की जाए।
• वाहन के उपयोग के शुरुआती स्थान से लेकर मंजिल तक और रुट का पूरा रिकार्ड और पैनिक बटन का स्टेटस पता रहे।
• ऐप के कॉल सेंटर और वैध फोन नंबर हों, जहां से ग्राहकों तक हर समय पहुंच बनाई जा सके।


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