







रुद्रपुर। उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के ऊधम सिंह नगर जनपद में प्रादेशिक बंगाली कल्याण समिति की नई कार्यकारिणी के गठन को लेकर उत्साह चरम पर है। बंगाली समाज की सबसे प्राचीन और प्रभावशाली संस्था मानी जाने वाली इस समिति के लिए रविवार 14 सितंबर को चुनाव प्रस्तावित है। विभिन्न पदों के लिए दावेदारों ने अपनी दावेदारी पेश की है, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा अध्यक्ष पद के लिए हो रहे मुकाबले की है। इसमें तीन दावेदार सामने आए हैं। जिसमे दो रुद्रपुर और एक शक्तिफार्म से हैं। वही सूत्रों से मिली ताजा जानकारी के अनुसार,शक्तिफार्म के दावेदार अपनी दावेदारी वापस ले सकते है,जिसके बाद अध्यक्ष पद की दौड़ में दो ही दावेदार बच जाएंगे।
दिलीप अधिकारी आक्रामक नेतृत्व का प्रतीक
अध्यक्ष पद के प्रमुख दावेदारों में से एक हैं दिलीप अधिकारी, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता हैं। कई बार सभासद और पार्षद रह चुके अधिकारी ने नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका भी निभाई है। उनकी तेज-तर्रार और आक्रामक नेतृत्व शैली ने उन्हें राजनीतिक क्षेत्र में एक मजबूत पहचान दिलाई है। वह अपने क्षेत्र के विकास के लिए सटीक रणनीति और कार्ययोजना बनाने में माहिर माने जाते हैं। सभासद और पार्षद के रूप में उनके कार्यकाल में कई उल्लेखनीय विकास कार्य हुए, जिसने उनकी लोकप्रियता को और बढ़ाया। हालांकि, हाल के समय में उनकी भाजपा में पकड़ में कुछ कमजोरी देखी गई है, फिर भी उनकी सक्रियता और जनता से जुड़ाव उन्हें अध्यक्ष पद का प्रबल दावेदार बनाता है। दिलीप अधिकारी की आक्रामकता उनके व्यक्तित्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन इस वजह से उन पर बदसुलूकी के आरोप भी लगे हैं। राजनीति में आक्रामकता को अक्सर ताकत माना जाता है, लेकिन अगर अधिकारी अपने व्यवहार में सौम्यता ला सकें, तो वे समिति के लिए एक प्रेरणादायक नेता साबित हो सकते हैं। उनकी सामाजिक और राजनीतिक कार्यों में कुशलता उनकी छवि को और मजबूत करती है। हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में अधिकारी अपने समर्थकों से वोट की अपील करते नजर आए। उन्होंने दावा किया कि अगर वह अध्यक्ष चुने जाते हैं, तो समिति में अभूतपूर्व परिवर्तन लाएंगे। खासकर, युवाओं और महिलाओं को नेतृत्व के अवसर देने और बीते समय की गलतियों को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने का वादा किया।
के.के. दास: सौम्यता और अनुभव का संगम
वही दूसरे दावेदार के.के.दास है, जो रुद्रपुर के ही निवासी और भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं। दास का लंबा राजनीतिक करियर रहा है और उन्होंने पहले दर्जा मंत्री के रूप में भी अपनी सेवाएं दी हैं। उनकी सौम्यता और जनता से आधारपूर्ण व्यवहार उनकी सबसे बड़ी ताकत है। सामाजिक कार्यों में उनकी सक्रियता ने उन्हें समाज में एक सम्मानित स्थान दिलाया है। रुद्रपुर में नगर निगम चुनाव के लिए उन्होंने टिकट की दावेदारी की थी, लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला। फिर भी, उनकी राजनीतिक समझ और भाजपा संगठन में मजबूत पकड़ को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। दास की सौम्य शैली को उनकी ताकत माना जाता है, लेकिन कुछ लोग इसे उनकी जमीनी स्तर पर कमजोरी के रूप में देखते हैं। दास ने अपने समर्थकों से अपील की है कि वे उन्हें समिति के विकास और समाज के उत्थान के लिए समर्थन दें। उनकी योजना में समाज के कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं लागू करना और समिति को एक नई दिशा देना शामिल है। उनकी सौम्यता और अनुभव उन्हें एक संतुलित नेता बनाता है, जो समिति के लिए सकारात्मक बदलाव ला सकता है।
प्रादेशिक बंगाली कल्याण समिति ऊधम सिंह नगर में बंगाली समाज की एकता और कल्याण के लिए एक महत्वपूर्ण मंच रही है। यह समिति सामाजिक, सांस्कृतिक और कल्याणकारी गतिविधियों को बढ़ावा देती है। इस चुनाव के जरिए समिति को एक नया नेतृत्व मिलेगा, जो समाज के लिए प्रगति और विकास की नई राह खोल सकता है। दिलीप अधिकारी की आक्रामकता और के.के. दास की सौम्यता के बीच यह मुकाबला बेहद रोमांचक होने की उम्मीद है। दोनों दावेदारों के अपने-अपने मजबूत आधार हैं, और उनकी योजनाएं समाज के लिए सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में महत्वपूर्ण हो सकती हैं। अधिकारी की आक्रामकता और दास की सौम्यता के बीच यह समिति के भविष्य को तय करेगा। 14 सितंबर का यह चुनाव न केवल समिति के लिए, बल्कि पूरे बंगाली समाज के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। प्रादेशिक बंगाली कल्याण समिति का यह चुनाव ऊधम सिंह नगर के बंगाली समाज के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक है। दिलीप अधिकारी और के.के. दास जैसे अनुभवी नेताओं की मौजूदगी इस मुकाबले को और रोमांचक बनाती है। दोनों के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन इस प्रतिष्ठित पद पर काबिज होकर समिति को नई ऊंचाइयों तक ले जाता है।