नादिया खान
हर मनुष्य जीवन में कार्य इसी लिए करता है ताकी वह अपने और अपने परिवार का पेट भर सके और इस पर भरने के लिए वह अन्न या खाने पर निर्भर रहता है। और उस अन्न के लिए वह निर्भर रहता है देश के अन्नदाता पर, जो है किसान। उन्हीं किसानों को सम्मान और उनके प्रति एक विशेष ध्यान केंद्रित करने के लिए पूरे देश में हर वर्ष 23 दिसंबर को किसान दिवस मनाया जाता है। किसान दिवस मनाया जाता है क्यूंकि इस दिन सन 1902 को देश के पांचवे प्रधानमंत्री श्री चौधरी चरण सिंह का जन्म हुआ था। वह एक किसान परिवार के थे और किसानों से जुड़ी समस्या और परेशानी से अच्छी तरह वाकिफ थे इसलिए उन्होंने किसानों के लिए कई योजनाएं बनाई और उनके लिए कृषि विभाग में कई सुधार लाएं। सन् 1964 में प्रधामंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री ने भी सैनिकों के बाद किसानों को देश के विकास का श्रेय दिया है।
भारत में 70% से ज़्यादा आबादी किसानी पर निर्भर है। परन्तु आज के सामज में किसानों को वह सम्मान नहीं मिल पता जिसके वह पात्र है। हम अक्सर यह भूल जाते है कि यदि किसान ना हो तो हमारा अस्तित्व नहीं रह पाएगा क्यूंकि उन्हीं के द्वारा उपज किए गए फल- सब्जियां से हम जीवित है। और तो और देश की अर्थव्यवस्था में भी एक अहम भूमिका निभाते है। केंद्रीय और राज्य सरकारें दोनों ही किसानों के लिए कई योजनाएं बनती है और किसान जागरूकता के लिए कई कार्यक्रम भी आयोजित करती है।
अतः हमें किसानों का सम्मान और धन्यवाद करना चाहिए क्योंकि उन्ही की वजह से हम खाना खाते है। आज के ही नहीं परन्तु हर दिन किसानों को सम्मानित करना चाहिए।
” पेट जो भरता लोगों का
मिट्टी से फसल उगाता है,
उस किसान की खातिर तो
यह धरा ही उसकी माता है।”
~नादिया खान✍️