काशीपुर। काशीपुर इंडस्ट्रियल एस्टेट एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन सौंप कर कहा कि यह औद्योगिक आस्थान प्रदेश के गठन से पूर्व वर्ष 1973 में उत्तर प्रदेश की प्रथम औद्योगिक नीति के अंतर्गत उद्योग निदेशालय के द्वारा विकसित किया गया था व इसका आवंटन 99 वर्ष की लीज़ पर उद्यमियों को किया गया था। आज पचास वर्षों में आधारभूत सुविधाओं के अभाव में यह क्षेत्र पूर्णरूप से विकसित नहीं हो सका। सभी आवंटियो ने संपूर्ण भूमि की राशि का भुगतान उद्योग निदेशालय को किया हुआ है, अब कुछ भी बकाया देय नहीं है।अवगत कराया कि आवंटित भूमि को बाज़ार मूल्य को ही लीज़ मूल्य के रूप में किश्तों में लिया गया था। इन पचास वर्षों में लगभग तीन पीढ़ियों के उद्यमी बदलते औद्योगिक परिपेक्ष में आधुनिक व्यवस्थाओं को औद्योगिक आस्थान के नियमों के रहते ढालने में असमर्थ रहे हैं, जिस कारण बहुत कठिन परिस्थितियों के चलते बहुत से उद्योग बंद है। कई उद्यमी अपनी उम्र व पारिवारिक परिस्थितियों की वजह से अपने-अपने उद्योग चलाने में असमर्थ हैं। चूंकि लीज़ का आधे से कम बकाया समय रह गया है, इस कारण से सभी उद्यमियों को इस औद्योगिक आस्थान का भविष्य असुरक्षित लगता है। उत्तराखंड में प्रदेश सरकार द्वारा सिडकुल के माध्यम से औद्योगिक आस्थान विकसित किये गये हैं, जिनका रखरखाव सिडकुल द्वारा ही किया जाता है जबकि यह औद्योगिक आस्थान उत्तर प्रदेश की नीतियों के अनुसार ज़िला उद्योग केंद्रों के द्वारा इसका प्रबंधन किया जाना है जिसका उत्तराखंड में कोई पृथक से प्रावधान नहीं है। काशीपुर के नगर निगम की सीमा विस्तार में यह औद्योगिक आस्थान भी नगर निगम सीमा में आ गया है जिस पर सम्पत्ति कर आरोपित किया जा रहा है। एसोसिएशन अध्यक्ष देवेन्द्र अग्रवाल, महामंत्री विनीत रावल, संयोजक राजीव घई ने ज्ञापन सौंपते हुए अनुरोध किया कि इन पुराने उद्योग निदेशालय के औद्योगिक आस्थान को फ्री होल्ड कर दिया जाये जिससे यह औद्योगिक आस्थानों की भूमि प्रदेश का औद्योगिक विकास में सदुपयोग हो सकेगा व नये आधुनिक उद्योग एवं व्यापार विकसित हो सकेंगे। साथ ही फ्री होल्ड करने से प्रदेश को राजस्व प्राप्ति हो सकेगी।