प्राचीन ऐतहासिक बस स्टैंड के सामने वाली रामलीला का हुआ भव्य शुभारंभ, प्रथम दिवस नारद मोह की लीला का हुआ भव्य मंचन  

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प्राचीन ऐतहासिक बस स्टैंड के सामने वाली रामलीला का हुआ भव्य शुभारंभ, प्रथम दिवस नारद मोह की लीला का हुआ भव्य मंचन  

रूद्रपुर-नगर की प्राचीनतम बस अड्डे के सामनें वाली रामलीला का उ‌द्घाटन बड़ी धूमधाम से मुख्य अतिथि बालाजी धाम के गुरूजीहरनाम  द्वारा फीता काटकर एवं प्रभु श्रीराम चन्द्र  के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया गया।  रामलीला कमेटी तथा श्री रामनाटक क्लब के पदाधिकारियों एवं सदस्यों में मुख्य अतिथि सहित सभी अतिथिगणों को फूलमाला, रामनाम का पटका तथा शाल ओढ़ाकर भेंटकर स्वागत किया। स्वागत संबोधन में श्री रामलीला कमेटी के अध्यक्ष पवन अग्रवाल में कहा कि आज पूरे देश में रामलीला का धूम मची हुई है। प्रभु रामचन्द्र जी के आदर्शों को व्यक्त करती रामलीला को सपरिवार बडी संख्या में पहुंचें भक्तों में अपने बच्चों को सोशल मीडिया और ड्रग्स के लती बनता देखनें की बजाये उत्तम संस्कार दिये जानें की ललक में रामलीला का महत्तव कई गुना अधिक कर दिया है।

मुख्य अतिथि हरनाम ने कहा कि राम नाम की महिमा अनंत है। और वह बड़ी ही रहस्यमयी है। राम के नाम की महिमा राम से भी बड़ी है। इनकी महिमा हजारों मुख वाले शेषनाग भी करने में असमर्थ है। राम स्वयं भी अपने नाम की महिमा नही गा सकते – राम न सकहि नाम गुन गाई।।

सत्ययुग में ध्यान करने से, त्रेता युग में यज्ञ करने से, द्वापर युग में पूजा करने से जो फल प्राप्त होता है वही फल कलयुग में केवल राम नाम कीर्तन से मनुष्य

प्राप्त कर लेते है। जैसे जल प्रज्वलित अग्निको शान्त करने में समर्थ है, जैसे घोर अन्धकार को छिन्न-भिन्न करनेमे भगवान सूर्य समर्थ है. उसी प्रकार भगवन्नाम कलिकाल के मद, मत्सर, दम्भ आदि समस्त दोषों को शान्त कर देता

आज की सीता में दिखाया जाता है कि नारद मुनि बगवान विष्णु की गति में साधना करने बैठ गए। शामी ध्यानी नारद मुनि को तप करते देख देवराज इंद्र को लगा कि कहीं नारद मुनि अपने तप के बस पर स्वर्ग की प्राप्ति तो नहीं करना चाहते! इस पर उन्होंने कामदेव को स्वर्ग की अप्सराओं के साथ नारद मुनि का तप भंग करने के लिए मेजा। लेकिन नारद मुनि पर कामदेव की गाया का कोई प्रभाव नहीं हुआ। तब हरे हुए कामदेव ने नारद जी से क्षमा मांगी और स्वर्ग को लौट गए। कामदेव की माया से मुक्त रहने पर नारद मुनि को इस बात का अहंकार हो गया कि उन्होंने कामदेव पर विजय प्राप्त कर ली है। ऐसे में वह अपनी विजय का बखान करने पहले ब्रहमा जी, फिर शंकर जी और उसके बाद श्रीहरि के पास बैकुंठ पहुंचे और उन्हें पूरी घटना बताने लगे कि कैसे उन्होंने कामदेव को जीत लिया। श्रीहरि विष्णु नारद जी के मन में आ चुके अहंकार को जान गए और उन्होंने अपने परम प्रिय नारद मुनि को अहंकार से मुक्त करने का निश्चय किया। नारद जी उनकी इस लीला को समझ न सके। आखिरकार अंत में वह भगवान विष्णु को श्राप दे देतें है। श्रीहरि विष्णु भगवान, नारद जी की बात सुनकर मुस्कुराते रहे। तभी राजकुमारी लक्ष्मी माता के रूप में समा गई। यह दृश्य देख नारद जी को समझ आया कि वह राजकुमारी कोई और नहीं स्वयं माता लक्ष्मी थीं और वह राजकुमार कोई और नहीं स्वयं श्रीहरि विष्णु थे। ज्ञान होने पर नारद मुनि भगवान से क्षमा मांगने लगे। लेकिन शाप को वापस नहीं ले सकते थे। श्रीहरि ने भी उनकी वाणी का मान रखा और श्रीराम के रूप में अवतार लिया। इसमें उन्हें माता सीता से वियोग भी सहना पडा और वानर रूपी रुद्रावतार हनुमानजी ने संकट के समय उनका साथ भी दिया।

इस दौरान श्रीरामलीला कमेटी के अध्यक्ष पवन अग्रवाल, महामंत्री विजय अरोरा, कोषाध्यक्ष सीए अमित शर्मा, समन्वयक नरेश शर्मा, महावीर आजाद, भारत भूषण चुघ, रामनाटक क्लब के महामंत्री गौरव तनेजा, डायरेक्टर आशीष ग्रोवर आशू, विशाल भुड्डी, पवन जिन्दल, राकेश सुखीजा, सचिन मुंजाल, जगदीश टंडन, अमित अरोरा बोबी, राजेश सिंघल, संदीप भारद्वाज, हरीश अरोरा, मोहन लाल भुड्डी, रोहित राजपूत, मोहित, प्रेम खुराना, हरीश सुखीजा, संजीव आनन्द, अनिल तनेजा, राजकुमार कक्कड़, विजय विरमानी, अमित चावला, मोहित जिन्दल, सौरभ राज बेहड़, गौरव राज बेहड़, आशू नागपाल, संदीप छाबड़ा, अभिषेक कपूर, सुमित बब्बर, चिराग कालड़ा, पुलकित बांबा, आदि उपस्थित थे।

आज की लीला में नारद जी का पात्र अभिनय मनोज मुंजाल, देवराज इन्द्र वैभव भुड्डी, कामदेव मोहन अरोरा, ब्रहमा जी- नितिश धीर, शंकर जी माधव आनन्द, विष्णु भगवान- मनोज अरोरा, विश्वमोहिनी एवं लक्ष्मी जी- हर्ष नरूला, कालादेव- राम कृष्ण कन्नौजिया, पीला देव कुक्कू शर्मा, मंत्री सचिन आनन्द, र नें निभाया। संचालन मंच सचिव सुशील गाबा एवं संदीप धीर नें संयुक्त रूप से किया।

रामभजनों नें बांधी छठा-

मुख्य अतिथि श्री बालाजी धाम के हरनाम गुरूजी के सानिध्य में जब राम व हनुमान जी के भजनों की लड़ी शुरू हुयी, तो पूरा माहौल राममय हो उठा। रामभक्त भक्तिरस में आ‌लिद होकर झूमने लगे।

भगवान शंकर के स्वरूप में पहली बार ऐतहासिक रामलीला मंच पर उतरे माधव आनन्द नें अपने शानदार मनमोहक अभिनय से पूरे पंडाल की शाबासी लूट ली। माधव आनन्द के जबरदस्त स्वरूप और शानदार अभिनय शैली नें अनेकों बार दर्शकों को करतल ध्वनि से तालियां बजानें पर मजबूर कर दिया। श्री रामलीला कमेटी व रामनाटक क्लब के सभी सीनियर्स नें भी माधव की पीठ थपथपा कर हौंसला अफजाई की।

सुशील गाबा की संचालन कला नें बांधा समां

पहले दिन ही रामभक्त सुशील गाबा नें रामलीला में अपनी संचालन कला से समां बांध दिया। विषय पर जबरदस्त पकड़, अपनें सामाजिक जीवन के कारण अधिकांश दर्शकों, मीडिया कर्मियों, कलाकारों आदि को नाम से जाननें की खूबी से उन्हें सीधें मंच से जोड़े रखने सहित कभी भी दृश्यों की तैयारी के बीच लगने वाले समय के सार्थक सदुपयोग नें उनकी मंच संचालन कला की सिद्धहस्ता को प्रमाणित कर दिया।

 


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