रुद्रपुर। गुलरभोज अवैध शराब फैक्ट्री मामले में छह आबकारी अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्रवाई के बाद इथाइल एल्कोहल की आपूर्ति के आरोप में आईजीएल काशीपुर डिस्टिलरी को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इसके साथ ही जांच का दायरा भी बढ़ाया गया है। सब सही रहा तो तराई के साथ ही पूरे कुमाऊं में चल रहे अवैध शराब के बड़े नेटवर्क का राज सामने आएगा। फिलहाल मुख्य आरोपित अभी पुलिस की पकड़ में नहीं आ सका है। उसकी गिरफ्तारी के बाद अवैध शराब कारोबार और आबकारी विभाग की स्थानीय कड़ियों को भी जोड़ा जाएगा। फिलहाल यह मामला पूरे प्रदेश में चर्चा में है।
आबकारी आयुक्त हरि चंद्र सेमवाल के मुताबिक मंगलवार को पकड़ी गई नकली शराब फैक्ट्री के मामले में प्रथम दृष्टया संबंधित क्षेत्र के कार्मिकों की लापरवाही उजागर हुई है। लिहाजा, तत्काल प्रभाव से आबकारी निरीक्षक बाजपुर, आबकारी निरीक्षक अतिरिक्त प्रभार जनपदीय प्रवर्तन सहित छह कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया। इसके साथ ही प्रकरण की जांच भी शुरू कराई जा रही है, ताकि नकली शराब मामले में कार्मिकों की अनदेखी या संलिप्तता समेत अन्य पहलू समाने आ सकें।
आबकारी आयुक्त के मुताबिक पुलिस के माध्यम से इस तरह की बात सामने आ रही है कि काशीपुर स्थित आइजीएल डिस्टिलरी में जो इथाइल एल्कोहल तैयार किया जाता है, उसकी आपूर्ति नकली शराब बनाने के लिए भी की जा रही है। क्योंकि डिस्टिलरी से इथाइल एल्कोहल को देशभर में विभिन्न स्थानों पर ट्रकों के माध्यम से भेजा जाता है।ऐसे में आशंका है कि इथाइल एल्कोहल को बीच में कहीं-कहीं अवैध देशी शराब बनाने के लिए भी मुहैया कराया जाता रहा। संभव हो इसमें टैंकर चालक भी संलिप्त हों।
फिलहाल आइजीएल को भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि नियमानुसार स्प्रिट की मात्रा व तीव्रता का उल्लेख परिवहन पास पर करते हुए उसे सीलबंद कर परिवहन किया जाता है। इसकी जिम्मेदारी संबंधित डिस्टिलरी की होती है। जो तथ्य सामने आ रहे हैं, उससे प्रतीत होता है कि स्प्रिट को गंतव्य तक सुरक्षित न पहुंचाकर बीच रास्ते में अवैध देशी शराब बनाने वालों को मुहैया कराया जा रहा था। नोटिस में यह भी कहा गया है कि इस कृत्य के लिए क्यों न डिस्टिलरी का लाइसेंस निरस्त कर दिया जाए। डिस्टिलरी प्रबंधन को तीन दिन के भीतर जवाब देने को कहा गया है।
शुक्र है कि पुलिस ने समय रहते नकली देशी शराब फैक्ट्री का भडाफोड़ कर दिया, नहीं तो स्प्रीट से तैयार होने वाली शराब में जरा सी चूक होती तो हालात भयावह होते। लोगों की जान भी जा सकती थी। गंभीर रूप से बीमार भी हो सकते थे। इस सब के बाद भी स्थानीय स्तर पर आबकारी विभाग ने मौन साधे रखा था। यही कारण है कि संबंधित पर कड़ी कार्रवाई की गई।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि अवैध शराब कारोबारियों के पास असली बोतल और ढक्कन के साथ ही सील करने वाली सामग्री कहां से पहुंचे। कहीं ऐसा तो नहीं कि इनका जुड़ाव किसी डिस्टिलरी से है। अगर ऐसा हुआ तो यह बड़ी चूक होगी।
ध्यान भटकाने के लिए टेंपो ट्रेवल्स से करते थे सप्लाई
अवैध देशी शराब बनाकर सप्लाई का भी मजबूत नेटवर्क तैयार किया गया था। पुलिस की नजर से बचने के लिए शातिर माल को टेंपो ट्रेवल्स से सप्लाई करते थे। इससे पर्यटक वाहन जानकार कोई जांच के लिए उन्हें नहीं रोकता था।
पूरे कुमाऊं के साथ ही उत्तर प्रदेश तक सप्लाई
एसएसपी मंजूनाथ टीसी के अनुसार आरोपित चालक ने बताया था कि वह शराब पूरे कुमाऊं के साथ ही उत्तर प्रदेश में भी सप्लाई करता था। ऐसे में जांच का दायरा आगे बढ़ेगा तो अवैध शराब का अंतरराज्यीय नेटवर्क भी सामने आएगा। इससे आबकारी विभाग के स्थानीय अधिकारियों की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं। फिलहाज जांच में यह भी जानने की कोशिश की जा रही है पर्वतीय जिलों में कहां-कहां इनका नेटवर्क था और सप्लाई चेन में कौन सक्रिय भागीदारी निभाते थे।
अवैध शराब कारोबारी राजस्व के रूप में सरकार को बड़ा चूना लगा रहे थे। सूत्रों के अनुसार जांच में यह बात भी सामने आ रही है कि आरोपित नकली शराब की सप्लाई सरकारी देशी शराब की दुकानों पर करते थे। ऐसे में सीधे-सीधे राजस्व के रूप में सरकार को नुकसान उठाना पड़ रहा था। सरकारी दुकानों पर पहुंचते ही शराब के असली होने का प्रमाण भी मिल जाता था। ऐसे में यह पूरे आबकारी विभाग की भी असफलता मानी जा रही है।
पुलिस ने मौके से काशीपुर निवासी राज कौर, बाजपुर निवासी नीलम, मुंडियां कला बाजपुर निवासी संदीप सिंह, राजेद्र सिंह और मंजीत सिंह को गिरफ्तार किया था। ऐसे में उसी दिन अवैध शराब मामले के तार काशीपुर से जुड़ गए थे। अब गुरुवार की कार्रवाई में आबकारी विभाग के काशीपुर में मौजूद जिम्मेदार भी दायरे में आ गए।