




स्वतंत्रता सेनानियों के नाम से जाना जायेगा सरकारी स्कूल थड़वा एवं पंचायत भवन , किया गया निर्माण का फीता काटकर शुभारम्भ
रुद्रपुर । भारत छोड़ो आंदोलन मुख्य रूप से हमारे जनपद बलिया में काफी प्रभावी रहा हमारा बलिया सन 1942 में ही आजाद हो गया था ऐसा इसलिए संभव हो पाया क्योंकि यहां के नौजवानों ने कुछ इस प्रकार की रणनीति बनाई कि अंग्रेजों के छक्के छूट गए उनके सारे राजस्व आग के हवाले कर दिए गए तमाम अधिकारी बंदी बना लिए गए बाहरी दुनिया से बलिया का संपर्क बिल्कुल कट गया हर मोर्चे पर नाकाम ब्रिटिश सरकार के अधिकारी कर्मचारी गणों ने हाथ खड़े कर लिए और बलिया आजाद हो गया हालांकि बाद में गांधी जी के दिशा निर्देशों के अनुसार सत्ता पुनः अंग्रेजों के हाथ में आ गया परंतु यह तय था कि द्वितीय युद्ध थमने के बाद संपूर्ण भारत को आजाद कर दिया जाएगा इन्हीं बलिया के वीर नौजवानों में अत्यंत बुद्धिमत्ता वाले एक नौजवान थे वासुदेव सिंह जिन्होंने नौजवानों की एक विशेष टोली बनाई हुई थी और बेहद करामाती तरीके से योजनाबद्ध रूप से ब्रिटिश सरकार का नुकसान करते चले गए जिसके चलते इन्हें गोली मारने का आदेश था जिसके चलते समस्त घर को कुर्की कर लिया गया घर के बाशिंदों को दर बदर की ठोकरें खानी पड़ी वह एक अलग ही मंजर था आजादी के 75 वर्षों बाद भारत सरकार की पहल के कारण भूले बिसरे स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने का एक सुअवसर प्राप्त हुआ है |
इनका परिवार आज़ उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले में स्थित रुद्रपुर शहर के पास गंगापुर गांव में रहता है। तथा इनके बलिदान के उपलक्ष्य सरकार द्वारा एक सरकारी स्कूल थड़वा पंचायत भवन निर्माण किया गया। अपने दादाजी के इस समान के उपलक्ष में उनके पोते श्री जितेन्द्र कुमार सिंह उर्फ टुनटुन सिंह ने सरकार का आभार प्रकट किया है।



