





एसडीएम द्वारा फड़ व्यवसायियों को भेजे गए अतिक्रमण संबंधी नोटिस पर अब कानूनी प्रतिक्रिया सामने आई
काशीपुर। एसडीएम द्वारा फड़ व्यवसायियों को भेजे गए अतिक्रमण संबंधी नोटिस पर अब कानूनी प्रतिक्रिया सामने आई है। एडवोकेट अमरीश अग्रवाल ने अपने मुवक्किल शैलेन्द्र कुमार पुत्र बलराम सिंह एवं कायम अली पुत्र अख्तर हुसैन समेत 30 फड़ संचालकों की ओर से एसडीएम काशीपुर को साढ़े चार हजार पन्नों का जवाब भेजा है। जवाब में कहा गया है कि एसडीएम कार्यालय से 20 सितंबर 2025 को पत्रांक संख्या 1371 एवं 1394 के माध्यम से जारी नोटिस विधिक रूप से उचित नहीं है, क्योंकि यह मामला पहले से ही उच्च न्यायालय उत्तराखंड, नैनीताल में रिट याचिका संख्या 123/2018 (एम/एस) के रूप में विचाराधीन है। इस याचिका में नगर निगम काशीपुर भी पक्षकार है और इसमें निगम का काउंटर एवं याची का रिजोएंडर दोनों ही न्यायालय में दाखिल किए जा चुके हैं। जबाब में आगे उल्लेख किया गया है कि नगर निगम काशीपुर की बोर्ड बैठक 28 मार्च 2017 को प्रस्ताव संख्या 213 पारित किया गया था, जिसके तहत जेल रोड स्थित फड़ व्यवसायियों के वास्तविक आंकलन के आधार पर किराया 1040 रुपये प्रतिमाह निर्धारित किया गया था, साथ ही तकनीकी विभाग को दुकानों के निर्माण हेतु प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया गया था। एडवोकेट अमरीश अग्रवाल ने कहा कि यह प्रस्ताव आज भी प्रभावी है और फड़ व्यवसायी उसी के आधार पर अपना कार्य कर रहे हैं।
एडवोकेट अमरीश अग्रवाल ने अपने जवाब में स्पष्ट किया कि संबंधित संपत्ति नगर निगम सीमा क्षेत्र में आती है, जिस पर कार्रवाई का अधिकार केवल नगर निगम को है, न कि एसडीएम को। अतः एसडीएम द्वारा जारी किया गया नोटिस अधिकार क्षेत्र से परे और विधिक रूप से निरस्त करने योग्य है।
उन्होंने यह भी कहा कि उक्त नोटिस पब्लिक प्रिमाइसेस एक्ट 1972 के अंतर्गत भी नहीं आता, इसलिए इस अधिनियम के तहत किसी कार्रवाई की प्रक्रिया लागू नहीं होती। जब तक उच्च न्यायालय में विचाराधीन रिट याचिका पर अंतिम निर्णय नहीं हो जाता, तब तक किसी भी प्रकार की प्रशासनिक कार्यवाही करना विधिक दृष्टि से अनुचित होगा।
एडवोकेट अमरीश अग्रवाल ने एसडीएम काशीपुर से अनुरोध किया है कि जब तक उच्च न्यायालय का अंतिम आदेश प्राप्त नहीं होता, तब तक उनके मुवक्किलों के विरुद्ध किसी भी प्रकार की कार्रवाई न की जाए।