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ऊखीमठ से धाम के लिए रवाना हुई भगवान केदारनाथ की डोली, 25 अप्रैल को खुलेंगे कपाट

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वसुन्धरा दीप डेस्क, देहरादून। अप्रैल यानी शनिवार से गंगोत्री यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ चारधाम यात्रा की शुरुआत हो जाएगी। जबकि तीन दिन बाद 25 अप्रैल को केदारनाथ धाम व 27 अप्रैल को बदरीनाथ धाम के कपाट खुल जाएंगे।
इसी क्रम में भगवान केदारनाथ की डोली शुक्रवार को ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से धाम के लिए रवाना हो गई है। इस अवसर पर सैकड़ों भक्त मौजूद रहे। केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग भी मौजूद रहे। पूजा अर्चना के बाद डोली ने मंदिर की परिक्रमा की, जिसके बाद डोली रवाना हुई। शुक्रवार को डोली विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी में विश्राम करेगी।
21 अप्रैल को डोली विभिन्न यात्रा पडावों पर भक्तों को आशीष देते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए विश्वनाथ मन्दिर गुप्तकाशी पहुंचेगी। 22 अप्रैल को भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली द्वितीय रात्रि प्रवास के लिए फाटा, 23 अप्रैल को भगवान की डोली गौरीकुण्ड एवं 24 अप्रैल को केदारनाथ धाम पहुंचेगी।
25 अप्रैल को प्रातः 6 बजकर 20 मिनट पर भगवान केदारनाथ के कपाट भक्तों के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे। मंदिर समिति ने बाबा केदार की डोली रवानगी के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली है।
वहीं केदारनाथ पैदल मार्ग आवाजाही के लिए खोल दिया गया है। केदारनाथ धाम में दो दिनों से लगातार हो रही बर्फबारी के चलते दो फीट तक बर्फ जम गई है, जबकि केदारनाथ पैदल मार्ग हिमखंड टूटने से अवरुद्ध हो गया था। बर्फबारी से केदारनाथ यात्रा तैयारियों पर बुरा असर पड़ रहा है।

केदारनाथ धाम के कपाट आगामी 25 अप्रैल को देश विदेश से आने वाले तीर्थयात्रियों के दर्शनार्थ खोले जाने हैं। यात्रा तैयारियों को लेकर जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के निर्देश पर यात्रा से जुड़े विभिन्न विभाग द्वारा यात्रा व्यवस्थाओं के लिए अपनी-अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। लेकिन लगातार हो रही बर्फबारी के कारण यात्रा तैयारियों पर बुरा असर पड़ रहा है। केदारनाथ धाम में गुरूवार को भी पूरे दिन बर्फबारी होती रही, जिससे केदारनाथ धाम समेत लिनचोली से केदारनाथ धाम तक लगभग पांच किमी पैदल मार्ग पर दो फीट से अधिक बर्फ जम गई है। जिससे घोड़ा खच्चरों की आवाजाही भी प्रभावित हो रही है।

वहीं मौसम खराब होने व भारी वर्फबारी होने के कारण पुर्ननिर्माण कार्यों एवं व्यवस्थाओं को दुरस्त करने में व्यवधान हो रहा है। इसके बावजूद श्रमिकों द्वारा विषम कठिन परिस्थितियों में भी भारी बर्फबारी में कार्य किया जा रहा है।


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