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बिजली उत्पादन: बढ़ती मांग के बीच दूसरे इंतजाम भी नहीं आए काम, अब हाईकोर्ट की शरण में लाखों के बोझ तले दबे लोग

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बिजली उत्पादन: बढ़ती मांग के बीच दूसरे इंतजाम भी नहीं आए काम, अब हाईकोर्ट की शरण में लाखों के बोझ तले दबे लोग

प्रदेश में चीड़ के पिरूल से हर साल लगने वाली आग को ऊर्जा में बदलने की योजना शुरू की गई थी। शुरुआत में बिजली उत्पादन होने लगा लेकिन देखते ही देखते ये अटकता चला गया। हालात ये हो गए कि तीन साल के भीतर ही सभी छह प्लांट बंद हो गए।

Electricity demand Increasing in Uttarakhand hydro solar arrangements not effective people reached High Court

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प्रदेश में लगातार बढ़ती बिजली की मांग के इलाज के तौर पर हाइड्रो व सोलर के अलावा दूसरे इंतजाम भी अभी तक कारगर साबित नहीं हो पाए। त्रिवेंद्र सरकार में शुरू हुई पिरूल से बिजली योजना ठप हो चुकी है। प्लांट बंद हो चुके हैं। लाखों के कर्ज तले दबे प्लांट लगाने वाले लोग अब न्याय के लिए हाईकोर्ट पहुंच गए हैं।

दरअसल, त्रिवेंद्र सरकार ने प्रदेश में चीड़ के पिरूल से हर साल लगने वाली आग को ऊर्जा में बदलने की योजना शुरू की। इसके तहत पिरूल से विद्युत उत्पादन के लिए 21 प्लांट उरेडा के माध्यम से आवंटित किए गए। इनमें से केवल छह प्लांट प्रदेश में गढ़वाल व कुमाऊं मंडल में स्थापित हुए।

अब प्लांट संचालक हाईकोर्ट चले गए
शुरुआत में बिजली उत्पादन होने लगा लेकिन देखते ही देखते ये अटकता चला गया। हालात ये हो गए कि तीन साल के भीतर ही सभी छह प्लांट बंद हो गए। इनसे विद्युत उत्पादन रुक चुका है। प्लांट लगाने वाले लोगों पर लाखों रुपये का कर्ज था, जिसकी भरपाई के लिए बैंक नोटिस भेज रहे हैं।

शासन ने इन प्लांट की व्यवहारिकता देखने को जतन किए, लेकिन कोई उत्साहजनक नतीजा नहीं निकल पाया। अब प्लांट संचालक हाईकोर्ट चले गए हैं। उनका आरोप है कि सरकार ने आधी-अधूरी तैयारियों के साथ योजना लांच की थी, जिसका नुकसान उन्हें उठाना पड़ रहा है।

पवन ऊर्जा भी कारगर नहीं

प्रदेश में वैसे तो पवन की उपलब्धता भरपूर है, लेकिन अभी तक वायु ऊर्जा कारगर नहीं हो पाई। इसके पीछे एक वजह ये भी है कि पवन ऊर्जा से जुड़े उपकरणों को पर्वतीय क्षेत्रों तक पहुंचाना मुश्किल है। वहां कई बार तेज हवाओं में ज्यादा नुकसान की आशंका भी रहती है। लिहाजा, पवन ऊर्जा के क्षेत्र में राज्य कोई काम नहीं कर पाया।

 

भू-तापीय ऊर्जा : प्रदेश में अब भू-तापीय ऊर्जा पर फोकस किया जा रहा है। अगर ये प्रयोग सफल होता है तो इससे ऊर्जा जरूरतें पूरी होने में बड़ी मदद मिल सकती है।

पंप स्टोरेज : इस योजना के तहत टीएचडीसी का 1000 मेगावाट का प्लांट नए साल से शुरू होने जा रहा है। प्रदेश में अन्य जगहों पर भी पंप स्टोरेज प्लांट लगाने के लिए सरकार नीति लेकर आई है। सफल रहा तो कुछ नतीजा निकल सकता है।


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