



रुद्रपुर। किच्छा विधायक तिलक राज बेहड़ ने जिले हो रहे अतिक्रमण के नाम पर उजाड़ने की कार्यवाही पर आवाज उठाई है। उन्होंने हो रही कार्यवाही को गलत ठहराते हुए 5 जून को कलेक्ट्रेट परिसर में गैर राजनैतिक धरना देने की बात कही है और धरने में अधिक से अधिक लोगों को पहुंचने के लिए भी कहा है।
अपने कार्यालय पर प्रेस को सम्बोधित करते हुए श्री बेहड़ ने कहा कि अतिक्रमण के नाम पर तराई में वर्षाे से बसें लोगो लो उजाडा जा रहा है, इसकी जितनी निंदा की जाए कम है। उन्होंने कहा कि जिस तराई के लोगों ने उत्तराखंड स्थापना में विशेष योगदान दिया है, उनके साथ अब अन्याय हो रहा है जिसे इसको बिलकुल भी बर्दाश नही किया जायेगा।
श्री बेहड़ ने कहा कि राज्य की स्थापना हो रही थी तब मैं उधम सिंह नगर का जनप्रतिनिधि होने के नाते उस समय स्वंय मौजूद था, उधम सिंह नगर को उत्तराखंड में शामिल करने की वकालत भी की थी, तब एक प्रतिनिधि मंडल देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व अटल बिहारी वाजपेयी से मिला और उनसे मिलकर उधम सिंह नगर को उत्तराखंड में शामिल किया जाए ऐसी मांग रखी थी और उस समय लाल कृष्ण अडवाणी भी अटल जी के निवास पर उपस्थित थे, जबकि उधम सिंह नगर को उत्तराखंड में शामिल ना किया जाए, इसको लेकर बहुत बड़ा आंदोलन उस समय चला था। जनता सड़कों पर थी जाम लगाए जा रहे थे हालत बहुत ख़राब थे, तभी प्रकाश सिंह बादल कमेटी के साथ पंतनगर यूनिवर्सिटी में लोगों से मुलाक़ात कर उनकी राय लेने आये थे। एक ओर विरोध में हजारों लोग थे ओर पक्ष में कम लोग थे तब भी उधम सिंह नगर को उत्तराखंड में शामिल किया गया था।
श्री बेहड़ ने कहा कि आज बड़ा दुख हो रहा है राज्य की स्थापना में विरासत में मिले हुए लोगों को अतिक्रमण के नाम पर उजाडा जा रहा है बेघर किया जा रहा है। इनका इतिहास 40 से 50 वर्षाे पुराना है, क्या उस समय के अधिकारी दोषी नही हैं। सरकारें दोषी नही है, विभिन्न विभागों के लोग अधिकारीगण जिनके रहते हुए लोग बसें दुकाने मकान बनाये। आज वो ही अधिकारी सरकारी ज़मीन समझकर हटाने का नोटिस दे रहे हैं, बुलडोजर चला रहे हैं। आखिर इन सब का जिम्मेदार पूर्व की सरकारें ओर अधिकारी नही है।
श्री बेहड़ ने कहा की तराई के अंदर किसानों को ज़मीने जंगलों को आबाद करने को दी गई थी, उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री स्व श्री गोबिंद बल्ल्भ पंत जी एवं मेजर संधू जी ने लोगो को बसया था, ज्यादातर लोग पाकिस्तान के बटवारे के बाद यहाँ आये थे, स्वतंत्रता सेनानीयों के गाँव बसाये गए। आज सरकार व उनके अधिकारी किसानों की बंजर भूमि वर्ग 4 व अन्य प्रकार की ज़मीनों को ढूंढ रहे हैं निशान लगा कर पीलर लगाए जा रहे हैं। ऐसी ज़मीने जो आजादी के बाद से किसान जोत रहे हैं उन्हें राज्य सरकार कब्जे में लेने की तैयारी कर रही है।
श्री बेहड़ ने कहा कि पंतनगर यूनिवर्सिटी के अंदर जो बस्तीयां हैं उनको उजाड़ने की तैयारी चल रही है, जबकि यूनिवर्सिटी के अधिकांश लोग वहीं मजदूरी करते हैं, ज़ब यूनिवर्सिटी खुद खेती करती थी तभी से यह लोग खेती का काम करते थे। इनकी बदौलत यूनिवर्सिटी का फार्म आज तक चल रहा है। कई पीड़ियां हो हई काम करते हुए पंतनगर को आबाद करने में इनका अहम योगदान है परन्तु अब इन गरीब मजदूरों को उजाड़ने की तैयारी की जा रही है, जो निंदनीय है।
श्री बेहड़ ने कहा कि आज बड़ा दुख हो रहा है। तराई के चुने हुए जनप्रतिनिधि पूर्व जनप्रतिनिधि क्यों खामोश हैं, उनको किस बात का भय है क्यों नही बोलते चाहे सांसद हो चाहे विधायक हो या फिर नगरपालिकाओं व नगर पंचायत के जनप्रतिनिधि हो। एक ना एक दिन सबको सामने आकर विरोध करना पड़ेगा। श्री बेहड़ ने कहा की आज हम सब को दलगत राजनीती से ऊपर उठ कर जो अतिक्रमण के नाम पर हो रही बर्बादी को बचाने के लिए एकजुट होकर सरकार पर दबाव बनाना पड़ेगा तभी इस अत्यचार से गरीब जनता को राहत मिल सकेगी।
श्री बेहड़ ने कहा की मैं मुख्यमंत्री जी से तराई की जनता की तरफ से अपील करता हूँ की इस अभियान को तत्काल रोका जाए ओर जो लोग उजाड़े गए हैं, उन सबको बसाने का काम तत्काल किया जाए।
साथ ही श्री बेहड़ ने कहा की आने वाली 5 जून 2023 दिन सोमवार को प्रात 10.30 बजे जिलाधिकारी उधम सिंह नगर के कार्यालय के बाहर दलगत राजनीती से ऊपर उठकर बिना किसी झंडे बैनर के अकेले धरने पर बैठेंगे और अतिक्रमण हटाने के नाम पर जो ये अभियान गरीबों को बर्बाद करने के लिए चलाया जा रहा है, इसके खिलाफ धरना प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा की जो भी समर्थन देना चाहे वो आ सकता है।