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सत्येंद्र गुड़िया लॉ कालेज के निदेशक प्रशासन पीके बक्शी ने राष्ट्रीय समाचार पत्र में कॉलेज के बारे में छपी खबर को भ्रामक बताया

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सत्येंद्र गुड़िया लॉ कालेज के निदेशक प्रशासन पीके बक्शी ने राष्ट्रीय समाचार पत्र में कॉलेज के बारे में छपी खबर को भ्रामक बताया

 

 

काशीपुर। सत्येन्द्र चन्द्र गुड़िया लाॅ काॅलेज के निदेशक प्रशासन पीके बक्शी ने प्रेस को विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि कालेज के सम्बन्ध में एक राष्ट्रीय समाचार पत्र में वृहस्पतिवार को एक भ्रामक खबर प्रकाशित हुई कि माननीय उच्चतम न्यायालय ने सत्येन्द्र चन्द्र गुड़िया लाॅ काॅलेज को निर्देश दिया कि उच्च न्यायालय, नैनीताल द्वारा दिये गये निर्णय के लिए काॅलेज प्रशासन को जुर्माने की रकम 50 हजार को 2 सप्ताह के भीतर भुगतान करना होगा जो कि बेबुनियादऔर निराधार है। काॅलेज प्रशासन द्वारा अवगत कराया गया कि उच्च न्यायालय द्वारा दिये गये निर्णय के अनुसार काॅलेज को 50 हजार की रकम जो माननीय उच्च न्यायालय ने ‘लागत’ के रूप में निर्धारित किया था वह राशि संजय शर्मा के खाते में 29 जुलाई 22 को एनईएफटी के माध्यम से उसका भुगतान किया जा चुका है। संजय शर्मा को जो कि सत्येन्द्र चन्द्र गुड़िया लाॅ काॅलेज में 2016 से संविदात्मक शिक्षक के रूप में कार्यरत थे उनके काॅलेज विरोधी क्रियाकलापों एवं अन्य संदिग्ध कार्यों के कारण काॅलेज प्रशासन द्वारा निलम्बन किया गया था एवं काॅलेज द्वारा उन्हें नियमानुसार भुगतान करने का विचार किया गया परन्तु संजय शर्मा द्वारा काॅलेज को ब्लेकमेल एवं कोर्ट में जाने को लेकर लगातार धमकी दी जा रही थी। उसके उपरान्त संजय शर्मा द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गई कि उनकी पुनर्नियुक्ति काॅलेज में कराई जाये तथा उनको 5 लाख रुपये काॅलेज प्रशासन द्वारा भुगतान कराया जाये। माननीय उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में केवल तत्काल सत्र 2020-2021 के वेतन का जो लगभग 2.5 लाख रुपये (ढाई लाख रुपये) भुगतान करने का निर्देश दिया और लागत के रूप में 50 हजार रुपये देने का निर्देश दिया। उनकी अन्य किसी मांग को माननीय उच्चन् यायालय ने स्वीकार नहीं किया। निदेशक प्रशासन बक्शी ने कहा कि यहां यह भी अवगत कराना है कि संजय शर्मा की नियुक्ति को 2016 में कुमाऊँ विश्वविद्यालय की कमेटी द्वारा अस्वीकार कर दिया गया था परन्तु मैनेजमेंट कमेटी की चैयरमेन के पारिवारिक मित्र के दवाब के कारण उनकी नियुक्ति बिना अर्हता के संविदात्मक शिक्षक के रूप में की गयी थी। अतः संजय शर्मा के द्वारा यह कहना कि 50 हजार रुपये का जुर्माना 2 सप्ताह के भीतर भुगतान करना होगा, वह असत्य व निराधार है।


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