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पढ़िए..कवि सम्मेलन की वो लाइने जिससे लोग हुए लोटपोट,,पूर्व विधायक ठुकराल ने कार्यक्रम में मशहूर कवियों को आमंत्रित कर मचा दिया धमाल

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पढ़िए..कवि सम्मेलन की वो लाइने जिससे लोग हुए लोटपोट,,पूर्व विधायक ठुकराल ने कार्यक्रम में मशहूर कवियों को आमंत्रित कर मचा दिया धमाल

 

कर तो लूँ एतराफ़े मोहब्बत तुम फ़साना बना तो ना दोगे ,

मैं तुम्हें ख़त तो लिख दूँ मगर तुम दोस्तों को दिखा तो ना दोगे !

मुमताज़ नसीम

कितने हसीन ददेखिए जज़्बात ले लिए

लेनी थी जीत हमने मगर मात ले लिए

दूल्हा विचारा रील बनाने में रह गया

दुल्हन ने फेरे पंडित जी के साथ ले लिए

 

शम्भू शिखर

यह मत सोचो ज्ञान बांटते फिरते हैं,

खुशियों का सामान बांटते फिरते हैं,

यह दौलत बांटे जाने से बढ़ती है,

इसीलिए मुस्कान बांटते फिरते हैं ,

सुदीप भोला

जबलपुर

अलग होते हुए कोई अलग इतना नहीं दिखता

मगर ऊंचाइयों से नींव का हिस्सा नहीं दिखता

उन्हीं आंखों को चश्मे की कहीं ज्यादा ज़रूरत है

जिन्हें मां बाप का टूटा हुआ चश्मा नहीं दिखता

 

 

सारा जग है प्रेरणा प्रभाव सिर्फ़ राम हैं ।

भाव सूचियां बहुत हैं भाव सिर्फ़ राम हैं ।।

 

पराजय का नहीं होता है कोई शोर मत कहना

ज़माने में कहां होते हैं अब चितचोर मत कहना

मुझे लड़ना है दुनिया से अकेले अब तुम्हारे बिन

अगर मैं हार जाऊं तो मुझे कमज़ोर मत कहना

 

अमन अक्षर इंदौर

बरसाती गोलियां हम जब कभी सीने पे खाते हैं,

तुम्हें देकर सुरक्षा होंठ पर मुस्कान लाते हैं,

ना समझो तुम दिवाली पर जले हैं तेल और बाती,

हमारे खून के कतरों से दीपक झीलमिलाते हैं

—-कवि गौरव चौहान,,,

वो फिसलते गए मैंने टोंका नही।

प्रेम मोहताज है बंधनों का नही।

वो किसी और के हैं यही सोंचकर,

उनको जाने दिया मैंने रोंका नही।

शशि श्रेया लखनऊ


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