नेत्र दान जागरूकता संकल्प अभियान की लौ उत्तराखंड से दिल्ली तक पहुँची

खबरे शेयर करे -

उत्तराखंड से नेत्र दान महादान जागरूकता अभियान की पहल देश की राजधानी स्टेट कैंसर इंस्टिट्यूट एंड हॉस्पिटल दिल्ली में भी

नई दिल्ली। स्टेट कैंसर इंस्टिट्यूट एंड हॉस्पिटल दिल्ली में नेत्रदान शिविर जागरूकता अभियान पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। शहीद भगत सिंह सेवा समिति, कल्याण ट्रस्ट एवम् स्वर्गीय दाविंद्र कौर फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस नेत्रदान शिविर में बड़ी संख्या में नेत्रदान कर्ता आगे आए।
संस्था कल्याण ट्रस्ट की फाउंडर इंद्रजीत कौर टीम और दाविंदर कौर फाउंडेशन डॉ. अवनीत कौर भाटिया एंड टीम ने भी लिया नेत्रदान संकल्प,साथ ही समिति का आभार प्रकट किया हैं। इसके अलावा शहीद भगत सिंह सेवा समिति डा. मनमोहन सिंह, खेराती लाल चुघ, गुरजीत रंधावा, मनमित, प्रथम बिष्ट, अरुण चुघ, राजन, रेनु जुनेज़ा, समिति उत्तराखंड के तत्वाधान से नेत्रदान व अंगदान जागरूकता अभियान पर विशेष सत्र का आयोजन भी किया गया। जिसमे दिसंबर माह में 24 दिसंबर भारत रत्न मदन मोहन मालवीय जी के जन्मोउत्सव (लक्ष्मी नारायण मंदिर) में और 25 दिसंबर महिला एवम् सामाजिक जागरूकता कल्याण समिति को भी नेत्र दान संकल्प के लिए जागरूक किया जा चुका हैं और सभी को प्रभावित किया हैं संस्थाएँ शहीद भगत सिंह सेवा समिति से प्रभावित हैं और इस लोह में उनका साथ देने का संकल्प लिया हैं।
स्टेट कैंसर इंस्टिट्यूट एंड हॉस्पिटल जिसमें शहीद भगत सिंह सेवा समिति (उत्तराखंड) अरुण चुघ, प्रथम (प्रकाश) बिष्ट, राजन (हरप्रीत सिंह) ने नेत्रदान व अंगदान पर स्टेट कैंसर हॉस्पिटल दिल्ली में मरीज़ो और सहयोगी कैम्प आए। संस्थान कल्याण ट्रस्ट (इंद्रजीत कौर) एवम् स्वर्गीय दाविंद्र फ़ाउंडेशन को विस्तार से जानकारी दी एवं इस विषय पर फैली हुई विभिन्न भ्रांतियों एवं शंकाओं को दूर किया।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में प्रथम बिष्ट, हरप्रीत सिंह, अरुण चुघ ने भारी संख्या में आए सभी से ज्यादा से ज्यादा मात्रा में नेत्रदान शिविर में भाग लेने एवं नेत्रदानध्अंगदान अभियान से जुडने का आहवान किया।
प्रथम बिष्ट, अरुण चुघ, हरप्रीत सिंह ने लोगों को बताया कि भारत में करीब सवा करोड़ लोग नेत्रहीन हैं। करीब 25-30 लाख ही दान की गई आंखों से रोशनी पाते हैं। नेत्रदान ही ऐसा पुण्य काम है जिसे आदमी की मौत होने के उपरांत ही निकाला जाता है। शेष अंगदान के लिए दानकर्ता का जीवित होना जरूरी है। एक व्यक्ति के नेत्रदान से दो जरूरतमंद व्यक्ति की आंख में रौशनी लौटाई जा सकती है।
और साथ ही समिति सदस्य प्रथम(प्रकाश) बिष्ट, अरुण चुघ, राजन ने पूरे देश का नाम नेत्रदान जैसे महादान के लिए विश्व में सबसे आगे ले जाने की बात कही। उत्तराखंड राज्य सहित पूरे भारत को नेत्रदान महादान के साथ एक कीर्तिमान स्थापित करने की और ले जाएंगे और इस महादान की प्रथा बना देंगे। सभी मानव के जीवन में आँखों का एक अहम किरदार होता है। आँख शरीर का वह अंग है जो मानव जीवन को रंगीन बना देता है और उनकी जिंदगी में उजाला भर देती है। इस मानव संसार में हममें से कुछ लोग ऐसे भी हैं जो दूसरों के बारे में भी सोचते हैं। आंखें ना सिर्फ हमें रोशनी दे सकती हैं बल्कि हमारे मरने के बाद वह किसी और की जिंदगी में उजाला भी भर सकती हैं। यही नेत्र दान उन्हें एक नयी जिंदगी दे सकती है। लेकिन कुछ लोग अंधविश्वास के कारण नेत्र दान नहीं करते। उनका मानना हैं कि अगले जन्म में वे नेत्रहीन ना पैदा हो जाएं। इस अंधविश्वास की वजह से दुनियां के कई नेत्रहीन लोगों को जिंदगी भर अंधेरे में ही रहना पड़ता है। सभी लोगों को इस बात को समझना होगा और नेत्रदान अवश्य करना चाहिए। हमारा एक सही फैसला लोगों के जिंदगी में उजाला ला सकता हैं। हमारा इस फैसले से कई घरों में खुशियाँ की खिल-खिलाहट सुनाई देगी।
संस्था कल्याण ट्रस्ट दिल्ली ने धन्यवाद दिया एवं चिन्ह भेंट किया। इस कार्यक्रम में इंद्रजीत कौर (कल्याण ट्रस्ट), डॉ अवनीत कौर भाटिया (प्रोफेसर) मौजूद रहे।


खबरे शेयर करे -

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *