समलैंगिकता के विरोध में केडीएफ ने भी सौंपा एसडीएम को ज्ञाप

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*समलैंगिकता के विरोध में केडीएफ ने भी सौंपा एसडीएम को ज्ञापन*

 

काशीपुर। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समलैंगिक विवाह को विधि मान्यता न देने का आग्रह करते हुए काशीपुर डेवलपमेंट फोरम के अध्यक्ष राजीव घई एवं सदस्यों ने राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन उपजिलाधिकारी अभय प्रताप सिंह को सौंपा है। ज्ञापन में कहा गया कि हमारा देश भारत विभिन्न धर्मों, जातियों एवं उपजातियों का देश है। इसमें शताब्दियों से केवल जैविक पुरुष एवं जैविक महिला के मध्य, विवाह को मान्यता दी है। विवाह की संस्था न केवल दो विषमलैंगिको का मिलन है, बल्कि मानव जाति की उन्नति भी है। शब्द “विवाह” को विभिन्न नियमों, अधिनियमों, लेखों एवं लिपियों में परिभाषित किया गया है। सभी धर्मो में, केवल विपरित लिंग के दो व्यक्तियों के विवाह को, दो अलग लैंगिकों के पवित्र मिलन के रूप में मान्यता देते हुए भारत का समाज, विकसित हुआ है। पाश्चात्य देशों में लोकप्रिय, दो पक्षों के मध्य, अनुबंध या सहमति को मान्यता नहीं दी है। ऐसे में, समान लैंगिकों के विवाह को विधि मान्यता दिये जाने की मांग, उनका मौलिक अधिकार न होकर, वैधानिक अधिकार हो सकता है, जो केवल भारत की संसद द्वारा कानून बनाकर ही संरक्षित किया जा सकता है। विवाह एक सामाजिक कानूनी संस्था है, जिसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 246 के अंतर्गत, सक्षम विधायिका द्वारा अपनी शक्ति का प्रयोग कर बनाया है। उसे कानूनी रूप से मान्यता प्रदान की और विनियमित किया गया। “विवाह” नामक संस्था को, न्यायालयीन व्याख्या से, विधायिका द्वारा दिये गये विवाह संस्था के मूर्त स्वरूप को न तो नष्ट कर सकती है न ही नवीन स्वरूप बना सकती है और न ही मान्यता दे सकती है। भारत में “विवाह” को, कमजोर करने के किसी भी प्रयास का समाज द्वारा मुखर विरोध किया जाना चाहिये। भारतीय सांस्कृतिक सभ्यता पर सदियों से निरन्तर आघात हो रहे हैं। फिर भी अनके बाधाओं के बाद भी वह बची हुई है। अब स्वतंत्र भारत में इसे अपनी सांस्कृति जड़ों पर पश्चिमी विचारों, दर्शनों एवं प्रथाओं के अधिरोपण का सामना करना पड़ रहा है, जो इस राष्ट्र के लिये व्यवहारिक नहीं है। केडीएफ ने राष्ट्रपति से आग्रह किया है कि उक्त विषय पर, सभी हितबद्ध व्यक्तियों/संस्थाओं से परामर्श करने के लिये आवश्यक कदम उठायें और यह सुनिश्चित करने का प्रयास करें कि समलैंगिक विवाह न्याय पालिका द्वारा वैध घोषित न किया जाये। इस दौरान उमेश जोशी एडवोकेट, चक्रेश जैन व गुरविंदर सिंह चण्डोक आदि उपस्थित रहे।


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