*इतनी तारीख मिलीं कि खुद तारीख बन गया काशीपुर में निर्माणाधीन आरओबी*
काशीपुर। इसे ठेकेदार की हठधर्मिता ही कहा जाएगा कि बाजपुर रोड पर निर्माणाधीन आरओबी ने पांच से ज्यादा बार तारीख पार करने का नया कीर्तिमान बना डाला है। इतनी तारीखें मिली हैं कि निर्माणाधीन आरओबी अब खुद एक तारीख बनकर रह गया है। एक फरवरी को जिलाधिकारी उधम सिंह नगर ने जब एनएच से इस मामले में समय सीमा मांगी तो निर्माणदाई संस्था को 105 दिन का समय दिया गया था लेकिन इस अवधि में भी यह काम पूरा नहीं हो सका। अब निर्माण कंपनी ने तीस जून का समय मांगा है। साफतौर पर कहा जाए तो इस मुद्दे पर काशीपुर में विपक्षी राजनैतिक दलों की कमजोरी भी खुलकर सामने आई है। यदि विपक्ष मजबूत होता तो शायद निर्माणदायी संस्था को कार्यविस्तार दिये जाने की नौबत ही न आती। कहना गलत नहीं होगा कि पिछले छह वर्षों से निर्माणाधीन यह आरओबी उत्तराखंड में सबसे ज्यादा समय लेने वाला आरओबी बनकर रह गया है। वर्ष 2017 में रेलवे ओवर ब्रिज का निर्माण शुरू कराया गया था। पिछले छह वर्षों में सुस्त निर्माण के चलते यह लोगों के लिए परेशानी का सबब बन कर रह गया है। इस रोड पर व्यापार करने वाले व्यापारियों की दुकानें चौपट हो चुकी हैं, या फिर घाटे में चल रही हैं। तकरीबन छह डेडलाइन पार कर चुके इस निर्माणाधीन आरओबी की खासियत ये है कि तारीख पर तारीख मिल रही है लेकिन निर्माण कार्य पूरा नहीं हो रहा। निर्माण शुरू हुआ तो लगा कि कुछ वर्षों में शहर को चमचमाता आरओबी मिलेगा। इससे शहर का तेजी से विकास होगा। तकरीबन पाँच वर्षों से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका। इस बीच कोरोना संक्रमण काल भी गुजर गया। निर्माण अवधि के दो साल पूरे होने के बावजूद निर्माण न होने पर निर्माणदायी संस्था को पहला कार्य विस्तार दिया गया। पहले तो क्या, चौथे कार्य विस्तार में भी निर्माण कार्य पूरा न होने पर जिलाधिकारी युगल किशोर पंत से 105 दिन का समय मांगा गया। इस अवधि में भी काम पूरा नहीं हुआ तो अब तीस जून का समय दिया गया है। इस पूरे प्रकरण में विपक्षी राजनैतिक दलों की कमजोरी भी खुलकर सामने आई है। यदि विपक्ष मजबूत होता तो शायद निर्माणदायी संस्था को कार्यविस्तार दिये जाने की नौबत ही न आती। कांग्रेसी और बसपाई ज्ञापन व धरना-प्रदर्शन तक सीमित रहे, जो कि मात्र दिखावा था। यदि उनमें काशीपुर के विकास की दृढ़ इच्छाशक्ति होती तो हालात वो नहीं होते जो नजर आ रहे हैं। वैसे भी इस मुद्दे पर पूर्व विधायक हरभजन सिंह चीमा स्पष्ट कह चुके हैं कि विपक्ष को भी कुछ बोलना चाहिए। सत्तापक्ष के लोग निर्माण कार्य में देरी की जांच की मांग उठा रहे हैं और विपक्ष खामोश है, आखिर क्यों? यह जानने को जनता बेहद उत्सुक हैं। उधर, इस बारे में सवाल करने पर वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पीसीयू चेयरमैन राम मेहरोत्रा ने कहा कि यह चिंतनीय है। तय समयावधि में कार्य पूर्ण हो जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि वे सर्वे कर वस्तुस्थिति से अवगत होंगे। प्रयास रहेगा कि 30 जून तक निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद यह आरओबी जनता को समर्पित कर दिया जाए। साथ ही कहा कि निर्माण कार्य में देरी और आरओबी से संबंधित कई मुद्दों की जांच का आग्रह उनके द्वारा केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी से किया जाएगा।