धूमधाम से मनायी गयी संत रविदास जयंती

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रुद्रपुर- आवास विकास स्थित संत रविदास मंदिर में आज संत रविदास जयंती बहुत धूमधाम से मनाई गई। आज मंदिर परिसर में धार्मिक आयोजन के बाद लंगर प्रसाद का वितरण हुआ, जिसमें सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।

मंदिर व्यवस्था देख रही श्री संत रविदास जन कल्याण समिति के प्रबंधक रामस्वरूप भारती नें संत रविदास जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संत रैदास का जन्म 1398 में हुआ था और उनकी मृत्यु 1518 में हुई। उनका जन्म काशी (बनारस) में चर्मकार परिवार में हुआ था। संत कवि रविदास जी के काव्य का आधार मानवीय करुणा और समता की विचारधारा रही है। संत रविदास का साहित्य जीवन की स्वीकृति का साहित्य है, उसमें पीड़ित जन का आक्रोश और आवेश, सुखी समाज की आकांक्षा, और शोषक श्रेणी के प्रपंचों पर आघात है, और सबसे बढ़कर समता, स्वतंत्रता और बंधुत्व की स्पष्ट अभिव्यक्ति है।

काँग्रेस जिला महासचिव सुशील गाबा नें कहा कि महान संत रैदास जी ने ऊंच-नीच अवधारणा और पैमाने को पूरी तरह उलट दिया। संत रविदास कहते हैं कि जन्म के आधार पर कोई नीच नहीं होता है, बल्कि वह व्यक्ति नीच होता है, जिसके हृदय में संवेदना और करुणा नहीं है- उनकी एक वाणी में कहा गया है कि दया धर्म जिन्ह में नहीं, हद्य पाप को कीच,
रविदास जिन्हहि जानि हो महा पातकी नीच.

उनका मानना है कि व्यक्ति का आदर और सम्मान उसके कर्म के आधार पर करना चाहिए, जन्म के आधार पर कोई पूज्यनीय नहीं होता है. बुद्ध, कबीर, फुले, आंबेडकर और पेरियार की तरह रैदास भी साफ कहते हैं कि कोई ऊंच या नीच अपने मानवीय कर्मों से होता है, जन्म के आधार पर नहीं. वे लिखते हैं—
रैदास जन्म के कारने होत न कोई नीच,
नर कूं नीच कर डारि है, ओछे करम की नीच.

काँग्रेस नेता सुनील आर्य नें कहा कि रैदास एक ऐसे समाज की कल्पना करते हैं, जहां संपत्ति पर निजी मालिकाना नहीं होगा, समाज अमीर और गरीब में बंटा नहीं होगा, कोई दोयम दर्जे का नागरिक नहीं होगा और न ही वहां कोई छूत-अछूत होगा. अपने इस समाज को उन्होंने बेगमपुरा, बिना गम यानी बिना दुख का शहर, नाम दिया है|

इस दौरान सरपरस्त प्रबंधक रामस्वरूप भारती, कांग्रेस जिला महासचिव सुशील गाबा, समिति अध्यक्ष नेपाल सिंह, उपाध्यक्ष ब्रजपाल सिंह, कोशायध्यक्ष राकेश सिंह, डीपी सुमन, धर्मपाल सिंह, प्रेम सिंह, सूरज पाल सिंह समेत दर्जनों श्रद्धालु मौजूद थे।


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