



ई- रिक्शा के बढ़ते दबाव के चलते काशीपुर वासियों को जाम की समस्या से जूझना पड़ रहा
काशीपुर। ई-रिक्शा के बढ़ते दवाब के चलते शहर में जाम की समस्या अब आम होती जा रही है। आलम यह है कि शहर में पैदल चलने वालों से ज्यादा ई-रिक्शा काशीपुर की सड़कों पर दौड़़ते नजर आते हैं। इनके रूट निर्धारित न होने के चलते शहर के प्रमुख चौराहों से लेकर अस्पतालों के गेट तक इनका कब्जा है। कुल मिलाकर प्रशासन के ढुलमुल रवैये से काशीपुर में ई-रिक्शा चालक “पावरफुल” बनते जा रहे हैं। गौरतलब है कि काशीपुर में तकरीबन पांच वर्ष पूर्व ई-रिक्शा के रूट निर्धारित करने को लेकर एक प्रस्ताव तैयार किया गया, लेकिन यह योजना परवान नहीं चढ़ सकी। समय बीतने के साथ यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
काशीपुर में फिलहाल तीन हजार से ज्यादा ई-रिक्शा संचालित किए जा रहे हैं। इनमें यूपी से घुसपैठ कर अनाधिकृत रूप से संचालित ई रिक्शा शामिल नहीं हैं। क्षेत्रीय बुद्धिजीवियों का कहना है कि नगर की यातायात व्यवस्था दुरुस्त किये जाने के लिए ई-रिक्शाओं के रूट निर्धारित किया जाना नितांत आवश्यक है, क्योंकि निर्धारित संख्या में ई-रिक्शाएं इन स्थानों पर आयेंगी तो शहर में विभिन्न स्थानों पर जाम की समस्या से निजात मिल सकेगी। इसके साथ ही ई-रिक्शाओं का किराया भी निर्धारित करने की मांग पिछले काफी समय से नगर की जनता द्वारा उठाई जा रही है। कोविड से पहले स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की बैठक में ई रिक्शा संचालन को लेकर एक कार्य योजना बनाने पर चर्चा हुई थी। इसमें तय हुआ था कि काशीपुर को चार प्रमुख जोन में बांटकर ई रिक्शा का कलर कोड दिया जाएगा। जोन के हिसाब से ई रिक्शाओं का रूट निर्धारित रहेगा। रंग के हिसाब से ही अपने जोन में रिक्शा चल सकेंगे। लेेकिन कोविड के बाद यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई जिस पर आज तक कोई बैठक नहीं हो सकी है। जहां परिवहन विभाग नगर निगम व यातायात पुलिस पर जिम्मेदारी डालकर बचने का प्रयास करता रहा है। वहीं, नगर निगम ई-रिक्शा यूनियनों के दवाब में निर्णय लेने से बचता रहा है। यही वजह है कि अभी तक रूट निर्धारित करने का प्रस्ताव सिर्फ फाइलों में ही घूमता रहा है।
रूट निर्धारण को लेकर पीआईएल भी चुकी है दायर : काशीपुर में ई-रिक्शा के रूट निर्धारण को लेकर बीते 16 जून को एक जनहित याचिका पर सुनवाई भी हाइकोर्ट में की जा चुकी है, जिसमें खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए तीन माह के भीतर संबंधित विभाग को प्रत्यावेदन प्रस्तुत करने व राज्य सरकार नीतिगत निर्णय लेने की बात कही गई है।