



उर्वशी दत्त बाली के निमंत्रण पर मुख्यमंत्री धामी की धर्मपत्नी गीता धामी काशीपुर आएंगी
काशीपुर। क्षेत्र के जो गरीब और निर्धन बच्चें कभी कूड़ा बीनते थे आज वे बच्चे बेकार समझी जाने वाली वस्तुओं से रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाली ऐसी ऐसी वस्तुएं बना रहे हैं जो कला और निर्माण का अद्भुत संगम है। काशीपुर की एक संस्था द्वारा इन बच्चों को उनके घरों से लाकर उन्हें प्रशिक्षण दिया गया जिससे उनका आत्मविश्वास जगा और उनमें ऐसा जज्बा आया कि उन्होंने सिद्ध कर दिया की वह अपने हुनर से अपनी दुनिया बदल सकते हैं। डी बाली ग्रुप की डायरेक्टर उर्वशी दत्त बाली के निमंत्रण पर प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की धर्मपत्नी श्रीमती गीता पुष्कर धामी इन बच्चों की कला देखने काशीपुर आएंगी।
समाजसेवी और डी बाली ग्रुप की डायरेक्टर उर्वशी दत्त बाली ने जब कूड़ा बीनने और दिव्यांग बच्चों द्वारा बनाए गए सामान को ले जाकर प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की धर्मपत्नी श्रीमती गीता धामी को देहरादून स्थित उनके आवास पर दिखाया तो वें भी न सिर्फ दंग रह गई बल्कि भावुक हो गई। उर्वशी दत्त बाली ने श्रीमती गीता धामी को इन बच्चों से मिलने हेतु काशीपुर आमंत्रित किया है जिस पर उन्होंने अपनी सहमति जता दी है।
उल्लेखनीय है कि श्रीमती उर्वशी दत्त बाली गरीब असहाय और दिव्यांग बच्चों के विकास हेतु हमेशा तत्पर रहती हैं और समय-समय पर इनसे मिलकर. न सिर्फ इनकी मदद करती है बल्कि इन बच्चों द्वारा बनाए जाने वाले आकर्षक सामान की वर्षों से प्रदर्शनी लगवा कर समाज को न सिर्फ इन बच्चों के हुनर से रूबरू कराती है बल्कि लोगों को यह भी प्रेरित करती हैं की इन बच्चों के बने सामान को खरीदा जाए ताकि इनका आत्म विश्वास बढे और इन्हें आर्थिक मदद मिलने से इनका जीवन यापन बेहतर हो सके। अपने इसी भाव के चलते श्रीमती बाली ने मुख्यमंत्री की चौखट तक इन गरीब बच्चों के हुनर को लेकर दस्तक दी जिसके भविष्य में बहुत बेहतर परिणाम आएंगे क्योंकि मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी श्रीमती गीता धामी भी जन वत्सल हैं और असहाय व गरीबों की हमेशा मदद करती हैं।
नि संदेह कूड़ा बीनते गरीब और दिव्यांग बच्चों के जीवन में यह न केवल चौंकाने वाला परिवर्तन है, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणादायक संदेश भी है। काशीपुर की एक संस्था द्वारा इन बच्चों को उनके घरों से लाकर उन्हें प्रशिक्षण देने का जो काम किया गया उसके लिए यह संस्था वास्तव में साधुवाद की पात्र और समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। यू एस आर इंदू समिति ने इन बच्चों के अंदर जोआत्मविश्वास जगाया उससे इन बच्चों को महसूस हुआ कि कि वे भी अपने हुनर से अपनी दुनिया बदल सकते हैं। यह कार्य निस्सन्देह एक पहल नहीं, एक क्रांति है। श्रीमती उर्वशी दत्त बाली कहती है कि”यू एस आर इंदु समिति के संदीप जी एवं आयुषी नागर की मेहनत और मार्गदर्शन से इन बच्चों ने साबित कर दिया है कि अगर सही मार्गदर्शन, समर्थन और अवसर मिले, तो कोई भी बच्चा समाज पर बोझ नहीं, बल्कि उसकी ताकत बन सकता है।”
काशीपुर के इन बच्चों ने अपनी मेहनत से यह दिखा दिया कि प्रतिभा किसी परिस्थिति की मोहताज नहीं होती। “कचरे से कला” का यह सफर यह साबित करता है कि बदलाव सिर्फ एक सपना नहीं, एक सच्चाई है जो हमारे सामने आकार ले रही है। यही कारण है कि श्रीमती बाली ने इस प्रेरक यात्रा को और करीब से दिखाने के लिए मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी एवं प्रदेश की प्रथम महिला श्रीमती पुष्कर गीता धामी को काशीपुर आमंत्रित किया है ताकि वह खुद आकर देखें कि कैसे ये बच्चे अब ‘कचरा बीनने वाले’ नहीं, बल्कि ‘कलाकार’ बन चुके हैं।”वें देखें कि यह पहल सिर्फ सामाजिक विकास नहीं, एक भविष्य संवारने की क्रांति है — और इन बच्चों की चमकती आंखों में झलकता आत्मविश्वास इस बात की गवाही है कि बदलाव मुमकिन है।