नानकमत्ता। चुनाव प्रचार थम चुका है। सभी प्रत्याशी अब अपने अपने कार्यकर्ताओं से व्यापक जनसम्पर्क कर अपने अपने पक्ष में मतदान की अपील कर रहे है। लेकिन 69 विधानसभा क्षेत्र में मुकाबला कम रोमांचक नही होगा। भाजपा से 2 बार विधायक रह चुके डॉ प्रेम सिंह राणा को थोड़ी मेहनत ज्यादा करनी पड़ रही है लेकिन ऐसा नही कह सकते कि इस सीट से उन्हें नुकसान हो रहा है। इस बार भी इस विधानसभा क्षेत्र में कमल खिलने के आसार नजर आ रहे है। जगह जगह सिर्फ किसानों के कुछ नेता उनका विरोध कर रहे है। लेकिन यह नही कह सकते कि सभी किसान उनका विरोध कर रहे है। अपने विधायकी के कार्यकाल में सबसे ज्यादा विकास कार्य करने वाले विधायक डॉ प्रेम सिंह राणा की उपलब्धियां कम नही है। थारू विकास भवन, पर्वतीय उत्थान मंच भवन, राय सिख भवन व डैम पर बसे लोगो को मुख्य सड़क से जोड़ना उनकी महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है। देखा जाए तो उन्हें सर्व सुलभ प्रत्याशी के तौर पर उन्हें माना जा सकता है। वहीं दो बार यहां से करारी हार का मुँह देख चुके कांग्रेस के प्रत्याशी गोपाल सिंह राणा को जहां एक तरफ किसान नेताओ का समर्थन मिल रहा है वही भाजपा से नाराज कुछ नेताओं का का भी गुपचुप तरीके से सहयोग मिल रहा है। लेकिन उनके माथे पर लगा फुल्लईया कांड का कलंक धुलने का नाम नही ले रहा है। जनजाति समुदाय के लोग इस बार भी उनके खिलाफ चल रहे है। इस बार शायद कोई चमत्कार ही उन्हें विधायकी की सीट के दर्शन करवा सकता है। उनके साथ इस समय उनसे नाराज चल रहे लोगो ने भी फिलहाल उन्हें चुनाव लड़वाने का निर्णय लिया है। जिसमे विधानसभा क्षेत्र के कई कद्दावर नेता है। भाजपा से बागी होकर निर्दलीय रूप से पर्चा भर कर खड़े मुकेश राणा की स्थिति ज्यादा मजबूत नही दिखाई दे रही है। उनके भाजपा छोड़ कर निर्दलीय रूप से नामांकन भरने के बाद कई भाजपा मित्रो ने उनका साथ छोड़ दिया। वहीं आप से खड़े उम्मीदवार आनंद सिंह राणा को भी कुछ खास समर्थन नही मिल रहा है। भाड़े पर मजदूरों को लाकर उन्हें अपना प्रचार करना पड़ रहा है। सपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरी ज्योति राणा का भी कोई खासा फील्ड वर्क नही है और न ही वो अभी तक चुनावी मैदान में खुल कर आई है।14 फरवरी को मतदान है और मुकाबला रोचक स्थिति में है। देखना यह पड़ेगा कि 69 विधानसभा नानकमत्ता की जनता इस बार किसे अपना विधायक चुन कर विधानसभा में भेजेगी।