कहा सतत विकास लक्ष्य को पूर्ण करने में अंतर-सांस्कृतिक संचार का भी महत्व ज़रूरी
देहरादून। द्विजेन्द्र यूनिवर्सिटी इंडोनेशिया में “सतत विकास के लिए बहु-अनुशासन दृष्टिकोण पर” अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में देहरादून की डॉ. कंचन नेगी ने प्रतिभाग किया। जहाँ भारत से वे एकमात्र वक्ता रहीं। उन्होंने अपनी प्रस्तुतिकरण में “सतत विकास लक्ष्यों को पूर्ण करने में अंतर-सांस्कृतिक संचार के महत्व” पर अपने विचार रखे।
उन्होंने कहा अंतर-सांस्कृतिक संवाद विभिन्न दृष्टिकोणों और प्रथाओं की गहरी समझ विकसित करने के इरादे से विचारों और मतभेदों को साझा करने पर ज़ोर देता है। यूनेस्को के अनुसार, इंटरकल्चरल डायलॉग सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा देता है और सतत विकास के लिए अनुकूल वातावरण बनाने में मदद करता है।
उन्होंने आगे कहा कि जी- 20 ने जी- 20 एजेंडा को संरेखित करने के लिए एक नीतिगत ढांचा और अंततः सभी को सतत विकास लक्ष्य प्राप्त करने के लिए वैश्विक प्रयासों में सांस्कृतिक स्थिरता में निवेश करने में योगदान देने का महत्वपूर्ण कार्य किया है और तमाम देशों की सरकारों को इसे प्राप्त करने के लिए अपने सभी विकासात्मक प्रयासों में एक समुदाय-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।
अंत में उन्होंने कहा कि उन्हें गर्व है कि 2023 में, जी-20 का 18वाँ शिखर सम्मेलन भारत में आयोजित किया जायेगा, जिससे सभी भारतवासियों को बहुत आशाएं हैं।
इस सम्मेलन में पूरे विश्व भर के कई एक्सपर्ट स्पीकर्स ने प्रतिभाग किया जैसे यूनिवर्सिटी ऑफ़ लेम्पुंग से प्रोफ. बुस्टानुल अरिफीन, मलेशिया से प्रोफ. डॉ. नंगकुला, जापान से डॉ. नाओरी मियाज़ावा, फिलिपीन से डॉ. एमा ए.पोरियो, डॉ .गेडे सडाना (रेक्टर) द्विजेन्द्र यूनिवर्सिटी इत्यादि रहे। बता दें कि डॉ. कंचन नेगी अंतर्राष्ट्रीय रिसर्च डेवेलपमेंट, क्षमता विकास और कम्युनिकेशन एक्सपर्ट हैं, जिनके नाम चालीस से अधिक अन्तर्राष्ट्रीय राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय पुरस्कार हैं और देश-विदेश में उनके एक्सपर्ट सेशंस के लिए उन्हें अक्सर आमंत्रित किया जाता है।