हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं , बल्कि यह भारतीय संस्कृति और एकता का प्रतीक है…रेखा रावत

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हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं , बल्कि यह भारतीय संस्कृति और एकता का प्रतीक है…रेखा रावत

काशीपुर।हिंदी दिवस के अवसर पर के पी सी स्कूल की अध्यापिका रेखा रावत ने कहा की हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और एकता का प्रतीक है। यह हमें हमारे समृद्ध इतिहास, साहित्य और परंपराओं से जोड़ती है।
हिंदी दुनिया भर में करोड़ों लोगों द्वारा बोली जाती है, जो इसे दुनिया की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक बनाता है। हिंदी हमारी राष्ट्रीय एकता को मजबूत बनाती है और हमें विश्व में एक अलग पहचान दिलाती है। उन्होंने कहा कि
हिंदी को 14 सितंबर 1949 को भारत की राजभाषा का दर्जा मिला था। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के तहत हिंदी को देवनागरी लिपि में राजभाषा के रूप में मान्यता दी गई। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हिंदी ने देश को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई थी।हिंदी दिवस मनाते हुए हमें अपनी भाषा और संस्कृति पर गर्व होना चाहिए। आइए, हम हिंदी को भविष्य की पीढ़ियों के लिए बढ़ावा देने का प्रयास करें। हिंदी दिवस हमें हमारी भाषा और संस्कृति की विरासत की याद दिलाता है। हमें हिंदी के प्रचार-प्रसार में योगदान देना चाहिए। हिंदी में अधिक से अधिक लेखन, पठन-पाठन और संवाद करें। अपनी मातृभाषा को गर्व से अपनाएं और नई पीढ़ी को इससे जोड़ें। हमें हिंदी का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए और इसे अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। अपने अध्यापक जीवन के अनुभव को साझा करते हुए मैं यह बताना चाहूंगी कि अत्यधिक अभिभावकों द्वारा यह बताया जाता है कि उनका बच्चा हिंदी में अत्यधिक कमजोरी है और यह कहते हुए वह अभिभावक बहुत गर्व महसूस करते हैं जबकि यह हमारे लिए गर्व करने की बात नहीं बल्कि शर्म की बात है हमें अपनी मातृभाषा का ज्ञान होना नितांत ही आवश्यक है।


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