करोलिया लाइटिंग फैक्ट्री में सभी मज़दूरों की अवैध गेटबंदी, मजदूरों में आक्रोश

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प्रबंधन ने संराधन कार्यवाही के दौरान 10 मज़दूरों की गेटबंदी की थी। आज से यूनियन को हड़ताल पर जाना था परंतु यूनियन ने हड़ताल को आगे बढ़ाते हुए 18 जनवरी से हड़ताल करने का फैसला लिया था परंतु जब श्रमिक ड्यूटी पर पहुंचे तो सभी श्रमिकों का प्रबंधक ने गेट बंद कर दिया यह कह कर की आप हड़ताल का लैटर वापस लो और तब आप लोगो का गेट खुलेगा, यूनियन अध्यक्ष हरेन्द्र सिंह ने निवेदन किया की अभी हम हड़ताल नही कर रहे है हम समाधान हेतु अभी हड़ताल की तिथि को 18 जनवरी तक आगे बड़ा रहे है। जिस पर प्रबन्धन ने कहा की हमें यह सुझाव मान्य नही है अगर तुम लोगों को अंदर आना है तो हड़ताल को वापस लेना होगा और कोई तिथि आगे नही बड़ाई जायेगी।
यहां तक की 5 जनवरी को एडीएम, महोदय जी के समक्ष त्रिपक्षीय वार्ता थी परंतु प्रबंधन अपने अड़ियल रवैए और हटधर्मिता के कारण वार्ता मै भी उपस्थित नही हुए।

दरअसल करोलिया लाइटिंग में जब से यूनियन बनी है, तब से ही दमन चल रहा है। डेढ़ साल पहले कोविड-19 जांच की अपील करने पर यूनियन के उपाध्यक्ष सुनील कुमार यादव को कंपनी ने बर्खास्त कर दिया था। उसी मामले में प्रबंधन कथित रूप से जांच चलाता रहा और यूनियन पर तरह तरह के दबाव बनाता रहा।
यूनियन ने प्रबंधन को अपना एक मांग पत्र दिया था। प्रबंधन उसे भी दरकिनार करता रहा। मामला सहायक श्रम आयुक्त के समक्ष लंबित है। इसी दौरान 23 दिसंबर 2021 को अचानक प्रबंधन ने 10 मजदूरों के साथ 5 जनवरी को सभी मजदूरों की गेटबंदी कर दी।
सभी मजदूर श्रमिक उप श्रम आयुक्त उधम सिंह नगर में बैठे हैं।
यूनियन अध्यक्षदृ हरेन्द्र सिंह ने बताया कि प्रबंधन पूर्व में बर्खास्त किए गए यूनियन उपाध्यक्ष सुनील यादव की सवेतन कार्यबहाली करे, जिन 10 श्रमिकों की संराधन कार्यवाही के दौरान गेट बंदी की गई है, और अन्य सभी श्रमिकों की तत्काल कार्यबहाली करें, सारे आरोप पत्र निरस्त करे और मांग पत्र पर समझौता करें। जब तक श्रमिकों की समस्याओं का समाधान नहीं होता तब श्रमिक संघर्ष करेंगे।
उल्लेखनीय है कि आईआर वार्ता के दौरान प्रबंधन द्वारा किया गया यह कृत्य गैरकानूनी है, क्योंकि उत्तर प्रदेश औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 6ई के तहत प्रबंधन ऐसी कोई कार्यवाही नहीं कर सकता जिससे औद्योगिक अशांति बने।


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