सामाजिक चेतना से ही प्रकृति का संरक्षण कर सकतें है : डॉ दीपक रस्तौगी 

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विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस पर “प्लास्टिक के उपयोग में कटौती” को लेकर सेमिनार हुआ संपन्न

रुद्रपुर। स्वच्छ पर्यावरण स्वस्थ समाज की बुनियाद है। प्रकृति बची रहेगी, तभी जीवन बचेगा। विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस प्रकृति और पर्यावरण को संरक्षित करने का संकल्प दिवस है। प्लास्टिक मुक्त जीवनचर्या के लिए संकल्पित हों।
उक्त बातें समाज शास्त्र एवं जंतु विज्ञान विभाग सरदार भगत सिंह राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रुद्रपुर द्वारा आयोजित एक दिवसीय सेमीनार में मुख्य अतिथि जीवनदीप हॉस्पिटल के संचालक डॉ. दीपक रस्तोगी ने कही। उन्होंने आगे कहा कि प्राकृतिक स्रोतों के संरक्षण के प्रति जागरुकता पैदा करने के लिए ही विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस मनाया जाता है। हम कोई भी गतिविधि करने से पहले सोंचे कि इस गतिविधि से प्रकृति को कितना नकुसान होगा। हमें ध्यान देना होगा कि यदि हम प्रकृति के अनुकूल नहीं रहें तो प्रकृति भी हमारे अनुकूल नहीं रहेगी। विकास की अंधी दौड़ ने हमें प्रकृति से दूर कर दिया है। प्रकृति के असंतुलन ने ही पक्षियों को मनुष्य के जीवन से दूर किया है। प्राकृतिक संतुलन से ही पशु पक्षियों को मानवीय जीवन के लिए उपयोगी बनाया जा सकता है।
महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य प्रो ऐ के पालीवाल ने कहा कि स्वस्थ माहौल ही स्थिर और उत्पादक समाज की बुनियाद होता है। प्रकृति संरक्षण के जरिए ही मौजूदा और आनेवाली पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित और सुनिश्चित किया जा सकता है।
सेमीनार की संयोजिका डॉ हेमलता सैनी ने कहा कि प्रकृति संरक्षण के लिए प्लास्टिक, पॉलीथिन इस्तेमाल करना बंद करें और कागज, जूट या कपड़े की थैली इस्तेमाल करें। प्रकृति से धनात्मक संबंध रखने वाली तकनीकों, सामानों का उपयोग करें। हम अपनी आदत प्रकृति के अनुकूल बनाये तभी प्रकृति संरक्षण की दिशा में आगे बढ़ेंगे। प्रकृति के संरक्षण के बिना पृथ्वी पर मनुष्य के जीवन का अस्तित्व संभव नहीं होगा। प्रकृति संरक्षण को सामाजिक मूल्यों में शामिल करना होगा।
सेमीनार की आयोजन सचिव डॉ दीपमाला ने कहा कि प्रकृति का संरक्षण मूल रूप से उन सभी संसाधनों का संरक्षण है जो प्रकृति ने मानव जाति को भेंट की है। इसमें खनिज, जल निकायों, भूमि, धूप और वातावरण आदि शामिल हैं तथा इसमें वनस्पतियों और जीवों का संरक्षण भी शामिल हैं। संतुलित वातावरण सुनिश्चित करने के लिए प्रकृति का संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है ।
सेमीनार को सम्बोधित करते हुए समाजशास्त्र के सह आचार्य डॉ रविंद्र कुमार सैनी ने कहा कि मानव और प्रकृति एक दूसरे के पूरक हैं मानव प्रकृति के साथ जैसा व्यवहार करता हैं, प्रकृति भी मानव के साथ वैसा ही व्यवहार करतीं हैं। हर नागरिक को प्रकृति के प्रति सावधानी बरतनी चाहिए और संकल्प लेना चाहिए कि कभी भी मानव द्वारा प्रकृति का हास नहीं होगा। सामाजिक चेतना के आधार पर ही हम प्रकृति का संरक्षण कर सकतें है। प्रकृति संरक्षण पर ही समाज का अस्तित्व संभव रहेगा।
सेमीनार को सम्बोधित करते हुए दीन दयाल उपाध्याय कौशल केंद्र के विभागाध्यक्ष डॉ विनोद कुमार ने कहा कि प्रकृति के संरक्षण से ही स्वच्छ पर्यावरण प्राप्त हो सकता है। संसार में प्रकृति के बिना कोई भी जीव, जीवन का सपना नहीं देख सकता। मानव और प्रकृति के बीच एक अटूट संबंध है। मनुष्य के तकनीकी प्रगति ने प्रकृति को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। मनुष्य अपने विकास की दौड़ में प्रकृति को नुकसान पहुंचा रहा है, बिना यह सोचने की इसके परिणाम कितने भयानक हो सकते हैं। सेमीनार का संचालन समाजशास्त्र विभाग के सहायक आचार्य डॉ अंचलेश कुमार ने किया। सेमीनार में विद्यार्थियों द्वारा प्रकृति संरक्षण पर पोस्टर बनाया गया जिसकी सभी ने सराहना किया । इस सेमीनार में प्रमुख रूप से डॉ हरीश चंद्र, राजेश कुमार , डॉ शम्भू दत्त पांडेय, डॉ कमला भरद्वाज, डॉ मनीषा तिवारी, डॉ शलभ गुप्ता, डॉ कमला बोरा, डॉ पी पी त्रिपाठी, डॉ मनोज पांडेय, डॉ सुनील कुमार मौर्य, डॉ रंजीता जौहरी, डॉ हरनाम सिंह सहित महाविद्यालय के प्राध्यापक एवं छात्र -छात्राएं उपस्थित होकर प्रकृति संरक्षण से सम्बंधित अपने विचार प्रस्तुत किये। सेमिनार का लाईव महाविद्यालय के फेसबुक पेज पर शारीरिक शिक्षा विभाग के प्रभारी राजेश कुमार द्वारा किया गया जिसे फेसबुक पेज से जुड़े हुए विद्यार्थियों ने देखा।


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