डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के स्मृति दिवस के अवसर पर आज भाजपा जिला मुख्यालय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया ।

खबरे शेयर करे -

डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के स्मृति दिवस के अवसर पर आज भाजपा जिला मुख्यालय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया ।

जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे सांसद अजय भट्ट का नगर निगम के निवर्तमान पार्षदों द्वारा बड़ी माला पहना कर स्वागत अभिनंदन किया
सांसद अजय भट्ट ने भाजपा पदाधिकारियों के साथ डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्र पर दीप प्रज्वलित एवं माल्यार्पण कर पुष्पाजंलि अर्पित की।

विचार गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे सांसद अजय भट्ट ने कहा कि अखंड भारत के स्वप्नदृष्टा डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी का आज स्मृति दिवस है आजादी के बाद संविधान के लागू होने के बाद तत्कालीन कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार ने संविधान में धारा 370 जोड़कर राष्ट्रीय अखंडता को गंभीर चोट पहुंचाने का प्रयास किया था तत्कालीन सरकार की इन्हीं मंशाओं को ध्यान में रखते हुए उद्योग एवं आपूर्ति मंत्री के रूप में देश की सेवा कर रहे डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपना पद त्याग दिया और देश की प्रतिष्ठा और अखंड़ता के लिए कश्मीर से धारा 370 को हटाने के लिए उन्होंने एक व्यापक आंदोलन शुरू किया था भारतीय जनसंघ के हजारों कार्यकर्ताओं के साथ कश्मीर सत्याग्रह के लिए उन्होंने जो अभियान शुरू किया, इसके लिए उन्हें अपने प्राणों को त्यागना पड़ा। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का सपना आज प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में कश्मीर में धारा 370 को समाप्त करके साकार हो रहा है।

कार्यक्रम संयोजक भाजपा किसान मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौहान ने कहा कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी सच्चे अर्थों में मानवता के उपासक और सिद्धान्तवादी थे। मुखर्जी इस धारणा के प्रबल समर्थक थे कि सांस्कृतिक दृष्टि से हम सब एक हैं। इसलिए धर्म के आधार पर वह विभाजन के कट्टर विरोधी थे।जम्मू कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाना चाहते थे। उस समय जम्मू कश्मीर का अलग झंडा और अलग संविधान था। वहां का मुख्यमंत्री (वजीरे-आजम) अर्थात प्रधानमंत्री कहलाता था। संसद में अपने भाषण में डॉ. मुखर्जी ने धारा 370 को समाप्त करने की भी जोरदार वकालत की।

भाजपा प्रदेश मंत्री विकास शर्मा ने कहा कि डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भारतीय राजनीति और समाज में उनके दूरदर्शी दृष्टिकोण और समय से आगे की सोच के लिए जाना जाता है। उनके जीवन और कार्यों ने दिखाया कि वे न केवल अपने समय के मुद्दों को समझते थे, बल्कि भविष्य की चुनौतियों और अवसरों का भी गहरा ज्ञान रखते थे।देश और समाज के लिए तुष्टिकरण की राजनीति कितना नुकसान पहुंचा सकती है, इसको हमारे कई दार्शनिक समाजसेवियों ने दशकों पहले समझ लिया था। एक देश और एक विधान का मंत्र देने वाले डॉ. श्याम प्रसाद मुखर्जी ने इसके लिए मिसाल पेश की। स्वतंत्र भारत की पहली सरकार ने तुष्टिकरण की नीति पर चलना शुरू किया तो डॉ. मुखर्जी ने कैबिनेट से इस्तीफा देकर भारतीय जनसंघ की स्थापना की।
इस अवसर पर निर्वतमान मेयर रामपाल सिंह ने कहा कि डॉ- श्यामाप्रसाद मुखर्जी, शिक्षाविद, चिंतक और जनसंघ के संस्थापक थे। वे मानवता के उपासक एवं सिद्धांतवादी थे। डा- श्यामा प्रसाद मुखर्जी पहले व्यक्ति थे जिन्होंने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा दिए जाने के खिलाफ आवाज बुलंद की थी। डॉ- मुखर्जी देश के प्रथम उद्योग मंत्री थे। राष्ट्रीय हितों की प्रतिबद्धता को अपनी सर्वाेच्च प्राथमिकता मानने के कारण उन्होंने मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया। बहुत कम उम्र में वे कलकत्ता विश्व विद्यालय के कुल पति बन गए थे। डॉ- मुखर्जी जम्मू- कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाना चाहते थे। उन्होंने 1951 में भारतीय जन संघ की नींव रखी। उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं। वह समाज के लिए आदर्श पुरूष थे।
इस अवसर पर कार्यक्रम अध्यक्ष राजेश तिवारी,लोकसभा संयोजक विवेक सक्सेना, प्रदेश मंत्री विकास शर्मा,दर्जा राज्य मंत्री उत्तम दत्ता, सुरेश परिहार, निवर्तमान मेयर रामपाल सिंह,मंडल अध्यक्ष धीरेश गुप्ता, धर्म सिंह कोली, हरीश भट्ट,अमित नारंग, विपिन जलहोत्रा, वेद ठुकराल,हिमांशु शुक्ला, राम प्रकाश गुप्ता, राधेश शर्मा,ज्ञान सिंह चौहान, राकेश सिंह, मोहन तिवारी, श्री कांत राठौर,धीरेंद्र मिश्रा, डॉ शाह खान राजशाही, योगेश वर्मा, मोर सिंह यादव, राजेश कुमार, प्रेमलता सिंह, पिंकी ढिमरी, रजनी रावत, सत्यपाल गंगवार, प्रमोद शर्मा, शैलेंद्र रावत, आयुष तनेजा, विनय विश्वास, राजेश जग्गा,रमेश कालरा, निमित शर्मा ,डॉ राकेश सिंह, शिव कुमार शिबू, आयूब अंसारी,असलम सलमानी, विनय विश्वास, तरुण गहलौत, विकास सिंह वीर पाल सिंह, अश्विनी शर्मा,आदि लोग मौजूद रहे


खबरे शेयर करे -