एक ब्लड टेस्ट करेगा 50+ कैंसर की पहचान:नई टेक्नोलॉजी बीमारी से पहले ही ट्यूमर का पता लगाएगी

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शरीर में कैंसर फैलने से पहले ही उसकी पहचान करने से मरीजों की जान बच सकती है। इसलिए डॉक्टर्स कैंसर के सबसे कॉमन प्रकारों की रेगुलर जांच कराने की सलाह देते हैं। उदाहरण के लिए, कोलन कैंसर के लिए कोलोनोस्कोपी और ब्रेस्ट कैंसर के लिए मैमोग्राम स्क्रीनिंग की जाती है। यह तरीके लोगों के लिए महंगे और चुनौतीपूर्ण होते हैं।

ऐसे में दुनियाभर के हेल्थ एक्सपर्ट्स जांच की एक ऐसी प्रक्रिया विकसित करने में लगे हुए हैं, जिससे एक ही बार में कई प्रकार के कैंसर की जांच की जा सके। इसमें सबसे आगे मल्टीकैंसर अर्ली डिटेक्शन (MCED) टेस्ट है। यह एक सिंगल ब्लड टेस्ट है, जिससे एक साथ कई तरह के कैंसर का पता चल सकता है।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी MCED टेस्ट की रिसर्च और फंडिंग को प्राथमिकता दे रहे हैं। उनकी सरकार ने अगले 25 साल में कैंसर की मृत्यु दर में 50% तक की कमी लाने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए 1.8 बिलियन डॉलर यानी 149 अरब रुपए की मदद दी जा रही है।

MCED टेस्ट कैसे काम करता है?

अब तक MCED टेस्ट कैंसर की एडवांस स्टेज में किया जाता रहा है।
अब तक MCED टेस्ट कैंसर की एडवांस स्टेज में किया जाता रहा है।

हमारे शरीर के सभी सेल्स (कोशिकाएं) खत्म होने के बाद खून में DNA को बहा देते हैं। इनमें कैंसर सेल्स भी शामिल हैं। MCED टेस्ट ब्लड में ट्यूमर सेल्स के DNA की पहचान करता है। इससे पता चलता है कि मरीज को कैंसर होने का कितना खतरा है।

अब तक यह तरीका केवल कैंसर की एडवांस स्टेज में अपनाया जाता रहा है। डॉक्टर्स इसे ट्यूमर सेल्स के DNA में हो रहे म्यूटेशन्स की जांच के लिए करते हैं। चूंकि लेट स्टेज कैंसर मरीजों के खून में इस DNA की मात्रा ज्यादा होती है, इसलिए इसे MCED से डिटेक्ट करना आसान हो जाता है।

कैंसर से पहले MCED टेस्ट करना मुश्किल
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन में प्रोफेसर कॉलिन प्रिचर्ड कहते हैं, अर्ली स्टेज कैंसर को MCED टेस्ट के जरिए पहचानना मुश्किल है। ऐसा इसलिए क्योंकि जिन सेल्स में कैंसर नहीं होता, वो भी खत्म होने पर खून में DNA बहाते हैं। साथ ही ब्लड सेल्स उम्र बढ़ने के साथ-साथ असामान्य DNA बहाते हैं, जिससे ट्यूमर वाले DNA को पहचानने में कंफ्यूजन हो सकता है।

इन सभी वजहों से पुराने MCED टेस्ट करने पर बहुत बार रिजल्ट गलत आते थे। हालांकि नए MCED टेस्ट के साथ ऐसा नहीं है। यह नई टेक्नोलॉजी की मदद से खून में ब्लड सेल्स व नॉर्मल सेल्स की दखलंदाजी को भांप लेता है। इसके साथ ही अलग-अलग कैंसर के DNA के अंतर को भी पहचानने में सक्षम है।

टेस्ट के क्लीनिकल ट्रायल जारी

2021 में बायोटेक कंपनी ग्रेल ने अमेरिका का पहला MCED टेस्ट बनाया था।
2021 में बायोटेक कंपनी ग्रेल ने अमेरिका का पहला MCED टेस्ट बनाया था।

फिलहाल MCED टेस्ट्स विकसित किए जा रहे हैं और इनके क्लीनिकल ट्रायल जारी हैं। किसी भी टेस्ट को फूड एंड ड्रग एसोसिएशन (FDA) से मंजूरी नहीं मिली है। 2021 में बायोटेक कंपनी ग्रेल ने अमेरिका का पहला MCED टेस्ट बनाया था। कंपनी का दावा है कि यह 50 से ज्यादा कैंसर की पहचान एक साथ कर सकता है। इसकी कीमत 949 डॉलर यानी 78 हजार रुपए है। अभी सरकार द्वारा MCED टेस्ट्स के इस्तेमाल के लिए गाइडलाइन बनाना बाकी है।


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