बाजपुर। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के बजट अनुमान में कटौती पर चिंता और सरकार से प्रश्न किया।नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने बताया मनरेगा के लिए 98,000 करोड़ रूपये की प्रस्तावित मांग की तुलना में 60,000 करोड़ रूपये का आवंटन किया। मनरेगा के तहत आवंटन में 30 हज़ार करोड़ की कटौती समझ नहीं आ पायी है।’देश भर के लाखों परिवारों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण लगभग 5.6 करोड़ परिवार इस योजना से लाभान्वित होते है।मनरेगा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने वाला एक प्रमुख जरिया है. खासतौर से भूमिहीन मजदूर और सीमांत /लघु किसानों के लिए यह एक बड़ा सपोर्ट सिस्टम है. लेकिन, मांग के बावजूद इसके बजट में कटौती करना अच्छा संकेत नहीं है।उन्होंने कहा मनरेगा के अन्तर्गत 100 दिन के रोज़गार की गारंटी दी जाती है ।वर्तमान बजट से 100 दिन के रोजगार की गारंटी नहीं दी जा सकती चूंकि फंड की कमी है इसलिए प्रशासन जानबूझकर काम की मांग को दबाएगा ।मनरेगा के लिए अभी जो आवंटन है, यानी 60,000 करोड़ रु, उससे सिर्फ 30 दिन रोजगार की गारंटी दी जा सकती है।इस साल 60,000 करोड़ रुपये का आवंटन जीडीपी के 0.2% से कम है। इसलिए, वास्तविक रूप में, यह अब तक का सबसे कम मनरेगा आवंटन है।मनरेगा के बजट कटौती से पता चलता है कि सरकार कैसे, एक बहुत ही सावधानी से परिकल्पित कानून को व्यवस्थित रूप से कमजोर कर रही।अब यह न्यूनतम सीमा स्तर पर रोजगार प्रदान करने में भी सक्षम नहीं होगा।