लालकुआं। लालकुआं विधानसभा में कांग्रेस के टिकट वितरण को लेकर जिस तरह का असन्तोष वर्तमान में दिखायी दे रहा है ठीक ऐसा ही 2012 के विधानसभा में देखने को मिला था।
2012 के चुनाव में पार्टी से टिकट कट जाने के बाद निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश दुर्गापाल ने इस सीट से ऐतिहासिक जीत दर्ज की हालांकि जीतने के बाद उन्होंने अपने खांटी कांग्रेसी होने का परिचय देते हुए तमाम प्रलोभनों को ठुकराते हुए पुनः कांग्रेस को सहयोग देते हुए विजय बहुगुणा के नेतृत्व में बनी सरकार को अपना समर्थन दिया हालांकि सहयोग के कर्ज बतौर उन्हें सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया। इस बार भी कांग्रेस पार्टी द्वारा टिकट वितरण में 2012 कई पुनरावृत्ति की गयी है तमाम दावेदारों की दावेदारी के मध्येनजर कांग्रेस द्वारा पहले महिला दावेदार संध्या डालाकोटी का टिकट फाइनल किया गया फिर अचानक नाटकीय घटनाक्रम के दौरान कांग्रेस के खेवनहार हरीश रावत जो कि रामनगर से चुनाव लड़ने का मन बना चुके थे अचानक लालकुआं प्रकट हो गए और संध्या डालाकोटी का टिकट काट दिया गया।हालांकि हरीश रावत ने नामांकन करा दिया है और उनका मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के डॉ मोहन सिंह बिष्ट से माना जा रहा है किंतु टिकट वितरण से आहत संध्या डालाकोटी ने हरीश रावत समेत तमाम वरिष्ठ कांग्रेसियों के मानमनोब्ल को दर किनार कर पार्टी पर महिला को अपमानित करने प्रियंका गांधी बाड्रा के लड़की हूँ लड़ सकती हूं के नारे को खोखला बताते हुए बतौर निर्दलीय नामांकन कराया है सन्ध्या के मैदान में कूदने से कांग्रेसी हलक में बेचौनी साफ दिखायी देने लगी है।ऐसे में बिना डैमेज कंट्रोल के हरीश रावत की इस सीट पर राह आसान नहीं मानी जा सकती हालांकि भाजपा में भी बगावती तेवर देखे जा रहे हैं यहाँ भी पार्टी प्रत्याशी के नामांकन में किसी वरिष्ठ भाजपा नेता के न दिखने व टिकट न मिलने से नाराज नगर पंचायत के पूर्व चेयरमैन पवन चौहान के मैदान कूदने से पार्टी प्रत्याशी के सामने कड़ी चुनोती है । बगावती तेवर अख्तियार कर अपने पूर्व में कराए गए विकास कार्याे का बखान करते हुए जनता की बीच जा रहे चौहान को हल्के में लेना भाजपा को भारी पड़ सकता है।माना जा रहा है कि भाजपा कांग्रेस दोनो ही दल बागियों को मनाने की कवायद में जुटे हुए हैं दो दिन का समय बचा हुआ है अब देखना है कि कौन डैमेज कंट्रोल में सफल होता है कौन असफल।