UAE: ‘जीवाश्म ईंधन को लेकर विकसित देशों के दबाव में नहीं आएंगे’, जलवायु सम्मेलन में बोले पर्यावरण मंत्री
मंत्री ने कहा कि ‘दुनिया की कुल आबादी की 17 प्रतिशत भारत में रहती है लेकिन वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में भारत की हिस्सेदारी महज चार फीसदी ही है। कई देशों के लिए गरीबी हटाना प्राथमिकता है, इसलिए हम विकसित देशों के किसी भी दबाव को स्वीकार नहीं करेंगे।’
भारत के पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने मंगलवार को संयुक्त अरब अमीरात में जलवायु सम्मेलन के दौरान कहा कि जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता खत्म करने की कोशिशों के लिए भारत विकसित देशों के दबाव का विरोध करेगा। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए भूपेंद्र यादव ने कहा कि भारत अपने लोगों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है और यह सिर्फ तेल और गैस के आयात से ही पूरी नहीं हो सकती।
‘गरीबी हटाना हमारी प्राथमिकता’
भूपेंद्र यादव ने कहा कि ‘भारत अपनी अक्षय ऊर्जा क्षमता को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन जब तक हम विकसित भारत के उद्देश्य को पूरा नहीं कर लेते तब तक हमे कोयले से उत्पन्न ऊर्जा पर भी निर्भर रहना पड़ेगा।’ मंत्री ने कहा कि ‘दुनिया की कुल आबादी की 17 प्रतिशत भारत में रहती है लेकिन वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में भारत की हिस्सेदारी महज चार फीसदी ही है। कई देशों के लिए गरीबी हटाना प्राथमिकता है, इसलिए हम विकसित देशों के किसी भी दबाव को स्वीकार नहीं करेंगे।’
‘विकसित देशों को देनी चाहिए वित्तीय मदद’
भूपेंद्र यादव ने कहा कि ‘विकसित देशों ने पूर्व में बड़े पैमाने पर कार्बन उत्सर्जन किया, अब उन्हें विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वित्तीय और तकनीकी मदद देनी चाहिए, लेकिन विकसित देश विकासशील देशों पर जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को खत्म करने का दबाव बना रहे हैं लेकिन हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे।’ भूपेंद्र यादव ने कहा कि भारत ने अपने जीडीपी उत्सर्जन सघनता को 2005 से 2019 के बीच 33 प्रतिशत पर रखा है और तय लक्ष्य को 11 साल पहले ही पा लिया है। बता दें कि बीते हफ्ते ही दुबई में देशों के बीच ऐतिहासिक समझौता हुआ है, जिसमें जीवाश्म ईंधन को धीरे धीरे खत्म करने पर सहमति बनी है। हालांकि कोयले से उत्पन्न ऊर्जा को निशाना बनाने का भारत और चीन जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं ने इसका विरोध किया।