



वेंडिंग जोन ड्रामा या दबाव? सूरज कश्यप का अचानक पलट जाना बना रुद्रपुर का सबसे बड़ा सवाल
रुद्रपुर।
वेंडिंग जोन की दुकान संख्या 15 चलाने वाले सूरज कश्यप कभी मेयर विकास शर्मा पर कार्रवाई का आरोप लगाकर आत्मदाह की चेतावनी दे रहे थे…
और आज वही सूरज कह रहा है—
“मुझे नगर निगम से कोई शिकायत नहीं है।”
“मेयर साहब अच्छा काम कर रहे हैं।”
“मैं कुछ लोगों के बहकावे में था।”
सवाल यह है कि आखिर दो ही दिनों में सूरज बदल कैसे गया?
क्या यह बदलाव दिल से था या किसी “दिलचस्प दबाव” का नतीजा?
**पहले सूरज की दुकान सील—फिर गुस्सा—फिर आत्मदाह—और अब मेयर की तारीफ…
क्या यह सामान्य लगता है?**
जो सूरज कुछ दिन पहले रो-रोकर आरोप लगा रहा था कि उसकी दुकान पर गलत तरीके से तालाबंदी हुई…
जो कह रहा था कि—
“मैं मानसिक रूप से टूट चुका हूँ।”
“मेयर हमारी सुनवाई नहीं कर रहे।”
“अन्याय हो रहा है।”
वही सूरज आज अचानक कह रहा है—
“सब ठीक है… मेयर सबसे अच्छे हैं…”
रुद्रपुर में एक ही सवाल घूम रहा है—
सिर्फ दो दिन में इतना बड़ा ‘बदलाव’ कैसे आ गया?
**क्या सूरज को समझाया गया…?
क्या मनाया गया…?
या फिर ‘समझा’ दिया गया…?**
इसी ने पूरे शहर को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
**लोगों की चर्चा सीधी और साफ:
“ये बयान दिल से नहीं… दिलवाया हुआ लगता है!”**
स्थानीय लोग खुलेआम कह रहे हैं—
पहले दुकान सील की गई
फिर युवक ने आरोप लगाए
फिर मामला बढ़ा
फिर अचानक सूरज का मिजाज बदला
और अब दुकान खुलने की बात
यह सब मिलकर एक ही चीज़ की ओर इशारा कर रहा है—
कहीं न कहीं नगर निगम के गलियारों में कुछ ऐसा हुआ है जो जनता के सामने नहीं आने दिया जा रहा।
**सबसे बड़ा सवाल:
अगर सूरज पहले ग़लत था—तो सील क्यों?
और अगर नगर निगम ग़लत था—तो सूरज की भाषा क्यों बदली?**
दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं।
या तो सीलिंग गलत थी…
या फिर बयान बदलवाया गया है।
लेकिन दोनों का एक साथ होना सबसे बड़ा संदेह है।
**रुद्रपुर की जनता का सीधा सवाल—
“मेयर साहब, सच क्या है?”**
लोग आज साफ पूछ रहे हैं—
क्या गरीबों की दुकानें राजनीति का हिस्सा बना दी गई हैं?
क्या सूरज का बदला बयान किसी बड़े दबाव की ओर इशारा करता है?
क्या रुद्रपुर में वेंडिंग जोन वाकई जनता के लिए है या ताकत दिखाने का नया मैदान?
जब तक मेयर विकास शर्मा खुद सामने आकर पूरे घटनाक्रम की सच्चाई नहीं बताते…
तब तक रुद्रपुर का यह मामला सिर्फ विवाद नहीं—
बल्कि एक गहरा सवाल बना रहेगा।

